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पाकिस्तान ने अब जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल नियम पर रोना रोया, संयुक्त राष्ट्र में की अपील

शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) को फोन कर जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के लिए स्थानीय निवास संबंधी कानून को बदलने के भारत के फैसले पर चिंता जाहिर की.

Updated on: 23 May 2020, 11:24 AM

highlights

  • अंदरूनी हालात संभालने में नाकाम पाकिस्तान का एक और रोना.
  • अब संयुक्त राष्ट्र में डोमिसाइल कानून पर चर्चा की लगाई गुहार.
  • भारत ने फिर कहा हमारे अंदरूनी मामलों में दखन न दे पाक.

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) को फोन कर जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के लिए स्थानीय निवास संबंधी कानून को बदलने के भारत के फैसले पर चिंता जाहिर की. स्थानीय निवास (Domicile Law) संबंधी कानून के तहत, वे सभी व्यक्ति और उनके बच्चे जो जम्मू-कश्मीर में 15 साल रहे हों या सात साल तक पढ़ाई की हो और केंद्र शासित प्रदेश के किसी शैक्षणिक संस्थान से 10वीं या 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए हों, वे सभी स्थानीय निवासी माने जाने के पात्र होंगे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को कश्मीर में स्थिति से अवगत कराया.

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शाह ने लगाई गुहार
विदेश मंत्री ने, 'कश्मीर में स्थानीय निवास संबंधी नये कानून का हवाला दिया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और चौथे जिनेवा समझौते समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.' उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत किसी तरह का 'छद्म' अभियान भी चला सकता है. विदेश मंत्री ने कहा कि अगर भारत किसी तरह की खास सूचना देता है तो पाकिस्तान आतंकवाद 'लॉन्च पैड' के ऊपर दावे को प्रमाणित करने के लिए भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को अनुमति देने को तैयार है.

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भारत अपने पुराने रुख पर कायम
भारत अपने इस रुख पर कायम है कि जनवरी 1949 में स्थापित यूएनएमओजीआईपी अपनी सार्थकता खो चुका है और शिमला समझौते तथा उसके बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) स्थापित होने के बाद अप्रासंगिक हो चुका है. कुरैशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को कश्मीर में स्थिति और बिगड़ने से रोकने में उचित भूमिका निभानी चाहिए और भारत को उसके 'अवैध कार्यों' के लिए रोकना चाहिए तथा दक्षिण एशिया में शांति एवं सुरक्षा को संरक्षित रखना चाहिए. इसके पहले पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भी वैश्विक मंच पर जमकर हाय-तौबा मचाई थी.