Double Face: पाकिस्तान सिंध के लाखों बाढ़ पीड़ितों की उपेक्षा कर रहा
पाकिस्तान में मानसून की बारिश के कारण भारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद अगस्त में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था. बाढ़ के चरम संकट के दौरान पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के पानी के नीचे आ गया था.
highlights
- सिंध को बाढ़ से तुलनात्मक रूप से 70 प्रतिशत से अधिक नुकसान उठाना पड़ा
- बाढ़ ने दो करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया, सिंध में 8 मिलियन बेघर
जिनेवा:
एक सिंधी राजनीतिक कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का तत्काल ध्यान उन लाखों सिंधी बाढ़ पीड़ितों की ओर खींचा है, जिन्हें पाकिस्तान (Pakistan) सरकार ने पूरी तरह से छोड़ दिया है. बाढ़ के शिकार ये लाखों सिंधी अनिश्चित परिस्थितियों में रह रहे हैं. यूएनएचआरसी के 52वें सत्र के दौरान बोलते हुए वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस के महासचिव लखू लुहाना ने कहा, 'पाकिस्तान के हाल के इतिहास में पिछले साल की भीषण बाढ़ (Floods) और मूसलाधार बारिश के कारण हुई तबाही अभूतपूर्व है, जिसने 30 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. इस बाढ़ की विभीषिका का सिंध (Sindh) को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. इसकी वजह से सिंध को तुलनात्मक रूप से 70 प्रतिशत से अधिक नुकसान उठाना पड़ा. बाढ़ ने दो करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया, जिनमें से सिंध में 8 मिलियन से अधिक बेघर हो गए.'
भ्रष्ट सरकार नहीं पहुंचा पा रही राहत
यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए लखु लुहाना ने कहा, 'हम ईमानदारी से मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन एकमात्र कारण नहीं है बल्कि पाकिस्तान का गरीब और भ्रष्टाचार से ग्रस्त शासन एक बड़ा कारण है. बाढ़ के छह महीने के बाद भी लाखों सिंधी लोग बिना किसी सार्थक सरकारी समर्थन के बेघर हैं और गरीबी, बीमारी, अनिश्चितता, कुपोषण से पीड़ित हो मौत के आगोश में समा रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए सिंधी लोगों के दुखों को भुनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हमारा मानना है कि पाकिस्तानी संघीय और प्रांतीय सरकारें सिंध के तबाह शहरों, कस्बों और गांवों और सिंधी लोगों के जीवन का पुनर्निर्माण नहीं करना चाहती हैं.'
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कहीं पानी की कमी तो कहीं बाढ़ का सैलाब
उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करते हैं कि सिंधी लोगों की अभूतपूर्व तबाही के कारण यह तबाही कैसे और क्यों हुई, इसकी गहन अंतरराष्ट्रीय जांच की जाए. सभी साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहायता राशियों का प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया जाना चाहिए ताकि सिंध के कमजोर और दुर्गम स्थानों पर रहे समुदायों के लोगों तक मदद पहुंचाना सुनिश्चित करें. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉन ने हाल ही में बताया कि पाकिस्तान में बाढ़ इस बात की याद दिलाती है कि बदलती जलवायु निकट भविष्य में और अधिक आपदाएं लाएगी. जलवायु और पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र की 2022 ईयर इन रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार 2022 में कुछ क्षेत्र पानी की कमी से पीड़ित थे, तो अन्य गंभीर बाढ़ से प्रभावित थे.
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बाढ़ ने पाकिस्तान की हालत कर दी है और पतली
पाकिस्तान में मानसून की बारिश के कारण भारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद अगस्त में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था. बाढ़ के चरम संकट के दौरान पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के पानी के नीचे आ गया था. इस ऐतिहासिक और त्रासदी भरी बाढ़ से दसियों लाख लोग विस्थापित हुए हैं. गौरतलब है कि बाढ़ ने पहले से आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे के संकट पर और मुहाने पर ला खड़ा किया है.
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