logo-image

तालिबान की खुलकर मदद कर रहा पाकिस्तान, अब इस खूंखार आतंकी को किया रिहा

तालिबान बंदूक और ताकत के बल पर अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा चुका है. जिसके बाद तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में अपनी क्रूरता दिखानी शुरू कर दी है.

Updated on: 18 Aug 2021, 11:50 PM

नई दिल्ली:

तालिबान बंदूक और ताकत के बल पर अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा चुका है. जिसके बाद तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में अपनी क्रूरता दिखानी शुरू कर दी है. चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व में बनने जा रही सरकार का भी समर्थन किया है. इसके साथ ही पाकिस्तान प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से तालिबान का समर्थन कर रहा है. इसका ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब पाक सरकार ने बुधवार को तालिबान आतंकी मुल्ला मोहम्मद रसूल को रिहा कर दिया. आपको बता दें कि मुल्ला रसूल पिछले पांच सालों से पाकिस्तान की जेल में बंद था.

यह भी पढ़ें : जॉनसन, बाइडन ने अफगान स्थिति पर साथ काम करने का संकल्प लिया

दरअसल, खूंखार आतंकी मुल्ला रसूल को मार्च 2016 में बलूचिस्तान प्रांत में गिरफ्तार किया गया था. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार शुरुआत में मुल्ला तालिबान का सबसे चर्चित चेहरा माना जाता था, लेकिन जब मुल्ला अख्तर मंसूर को तालिबान प्रमुख बनाया गया तो इस बात से नाराज होकर उसने अपना अलग संगठन बना लिया था. जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने उसको पकड़कर जेल में डाल दिया था. वहीं, पाक तालिबानी संगठन अब खुलकर अफगानिस्तानी तालिबान के समर्थन में आ गया है. जैसे ही तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश किया तो वहां की जेल में कैद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 1000 आतंकियों को छोड़ दिया गया. 

ये भी पढ़ें- दीपिका पादुकोण ने नीलाम किए अंतिम संस्कार में पहने गए कपड़े ?

इस सप्ताह की शुरूआत में तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्पिन बोल्डक/चमन सीमा पार से हजारों की संख्या में अफगानी पाकिस्तान में प्रवेश कर चुके हैं. इनमें चिकित्सा की मांग करने वाले मरीज और मुक्त किए गए तालिबान कैदी शामिल हैं. अफगानी यात्रियों और अधिकारियों ने अल जजीरा को बताया कि मंगलवार को, सभी अफगानों के लिए वैध पहचान दस्तावेज या पाकिस्तान में पंजीकृत अफगान शरणार्थी होने का प्रमाण लेकर सीमा खुल गई हैं. सीमा के अफगान क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की शिकायत करते हुए, कई लोगों ने बुजुर्ग रिश्तेदारों या अन्य लोगों के साथ यात्रा की, जिन्हें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थीसीमा पर एकत्र हुए लोगों में से कई ने अल जजीरा को बताया कि वे तालिबान द्वारा अफगान जेलों से रिहा किए गए रिश्तेदारों को प्राप्त करने के लिए वहां आए हैं.