Pakistan: इमरान का दावा- पाकिस्तानी सेना के भीतर बढ़ रही है नाराजगी
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने दावा किया है कि वह सेना को अच्छी तरह से जानते हैं और संस्था के भीतर नाराजगी बढ़ रही है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि एक फर्जी कहानी गढ़ी गई कि प्रतिष्ठान ने पीटीआई को सत्ता में आने में मदद की, उन्होंने हमेशा उन लोगों की ताकत में विश्वास किया, जिन्होंने उन्हें चुना था.
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने दावा किया है कि वह सेना को अच्छी तरह से जानते हैं और संस्था के भीतर नाराजगी बढ़ रही है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि एक फर्जी कहानी गढ़ी गई कि प्रतिष्ठान ने पीटीआई को सत्ता में आने में मदद की, उन्होंने हमेशा उन लोगों की ताकत में विश्वास किया, जिन्होंने उन्हें चुना था.
पीटीआई के अध्यक्ष ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के शासन परिवर्तन की साजिश के बारे में एक झूठी कहानी के बयान को खारिज कर दिया और दावा किया कि साइफर (राजनयिक संदेश) को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जब वह प्रधानमंत्री थे और बाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी समिति की एक अन्य बैठक में इस पर चर्चा की.
एनएससी के साथ-साथ अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत असद मजीद खान ने स्वीकार किया कि दस्तावेज का स्वर धमकी देने वाला था और एक साजिश रची गई थी. डॉन ने बताया कि इसके बाद, उन्होंने कहा कि एनएससी ने यहां इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत का सीमांकन करने का फैसला किया.
उन्होंने प्रश्न किया, तो, एक झूठी कहानी कैसे गढ़ी गई?
उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, मैंने पूरे प्रतिष्ठान और जनता के समर्थन से 11 दलों के गठबंधन को हरा दिया है और अगले चुनावों में भी ऐसा ही करूंगा. मुझे नहीं पता कि पीटीआई को अगले आम चुनाव में बराबरी का मौका मिलेगा या नहीं, लेकिन मुझे अब भी लोगों की ताकत पर भरोसा है. अगले आम चुनाव के बारे में एक सवाल के जवाब में पीटीआई प्रमुख ने कहा कि सबसे खराब स्थिति में देश में निश्चित रूप से अगले अक्टूबर तक चुनाव होंगे.
उन्होंने कहा, अक्टूबर में होने वाले आम चुनाव पीटीआई और उसकी लोकप्रियता को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन 11 पार्टियों का गठबंधन पीडीएम सरकार डूबती रहेगी और मतदान के दौरान जनता के गुस्से का सामना करेगी. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को उनके लॉन्ग मार्च आंदोलन का क्लाइमेक्स उनके और उनकी पार्टी के लिए भारी जनसमर्थन का सबूत होगा.
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