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पाकिस्तान ने भारत को दिए दो और माह, अफगानिस्तान को मिल सकेगी मदद

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा क‍ि अफगानिस्तान में मानवीय संकट को दूर करने में हमारे ईमानदार प्रयासों के तहत परिवहन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो महीने का समय और देने का फैसला किया गया है.

Updated on: 18 Apr 2022, 08:24 AM

highlights

  • गेहूं और जीवनरक्षक दवाएं अफगानिस्तान भेज रहा है भारत
  • अटारी-वाघा सीमा से मदद पहुंचाने की अवधि हो गई थी खत्म
  • भारत सरकार के अनुरोध पर पाकिस्तान ने दो माह और दिए

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) में सत्ता परिवर्तन के साथ एक सौहार्द्रपूर्ण रवैया देखने में आया है. तालिबान (Taliban) राज में जबर्दस्त आर्थिक किल्लत झेल रहे अफगानिस्तान (Afghanistan) को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अटारी-वाघा पर आवाजाही दो महीने के लिए और बढ़ा दी है. भारत मानवीय मदद के तौर पर अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं तथा जीवनरक्षक दवाएं भेज रहा है. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए दी गयी समयावधि 21 मार्च को खत्म हो गयी और भारत सरकर ने सहायता पहुंचाए जाने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था.

21 मार्च को खत्म हो गई थी समयावधि
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा क‍ि अफगानिस्तान में मानवीय संकट को दूर करने में हमारे ईमानदार प्रयासों के तहत परिवहन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो महीने का समय और देने का फैसला किया गया है. पाकिस्तान ने नवंबर 2021 में मानवीय सहायता के तौर पर 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और जीवनक्षक दवाओं को भारत से वाघा सीमा के जरिए अफगानिस्तान तक भेजने की अनुमति दी थी. मानवीय सहायता के परिवहन के लिए दी गई समयावधि 21 मार्च 2022 को समाप्त हो गई थी. भारत सरकार ने हाल ही में परिवहन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समय अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था.

23 मिलियन अफगानियों को तत्काल मदद की जरूरत
भारत ने अफगानिस्तान को गेहूं के वितरण पर विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत द्वारा उपलब्ध कराए गए गेहूं से अफगानिस्तान को कमी से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है. अंतर्राष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के अनुसार लगभग 23 मिलियन अफगानों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है. अफगानिस्तान पिछले साल 15 अगस्त से तालिबान शासन के अधीन है जब अफगान कट्टरपंथी समूह ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की निर्वाचित सरकार को हटा दिया और उन्हें देश से भागने और संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेने के लिए मजबूर किया. भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन के लिए जोर दे रहा है.