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ISIS को फंडिंग कर रहा पाकिस्तान, काबुल दूतावास पर हमला महज नौटंकीः पूर्व IS नेता

तालिबान के सामने आत्मसमर्पण करने वाले शेख अब्दुल रहीम मुस्लिमदोस्त ने दावा किया कि अफगानिस्तान में हाल के आत्मघाती आतंकी हमलों के पीछे इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत का हाथ है.

Updated on: 17 Mar 2023, 01:05 PM

highlights

  • इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत के पूर्व संस्थापक सदस्य का दावा
  • लश्कर-ए-तैयबा ने दिए थे 50 लाख पाकिस्तानी रुपये
  • तालिबानआईएस कट्टर सुन्नी इस्लामवादी विचारधारा के

काबुल:

इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के एक पूर्व संस्थापक सदस्य ने दावा किया है कि पाकिस्तान आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) को धन उपलब्ध करा रहा है. हाल ही में एक साक्षात्कार में तालिबान के सामने आत्मसमर्पण करने वाले शेख अब्दुल रहीम मुस्लिमदोस्त ने दावा किया कि अफगानिस्तान में हाल के आत्मघाती आतंकी हमलों के पीछे इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत का हाथ है. आईएसकेपी को भी पाकिस्तान (Pakistan) और आईएसआईएस की केंद्रीय टीम ने पैसा उपलब्ध कराया था. तालिबान (Taliban) समर्थक अल-मरसाद मीडिया के साथ एक साक्षात्कार के दौरान मुस्लिमदोस्त ने यह खुलासा किया है.

जबरन वसूली और अपहरण आय का अन्य स्रोत
उन्होंने आगे दावा किया कि शुरुआत में 2015 में जब आईएसआईएस सीरिया और इराक में अपनी जड़ें फैला रहा था, तब पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा ने आईएसकेपी को 50 लाख पाकिस्तानी रुपये दिए थे. उन्होंने कहा कि जबरन वसूली और अपहरण आय का अन्य स्रोत थे. मुस्लिमदोस्त ने आगे कहा कि वह पहले अफगान नहीं थे जिन्होंने 2014 के अंत में इस्लामिक स्टेट समूह के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा ली थी. पहले नेता हेलमंड के मौलाना इदरीस थे, जिन्होंने मदीना से इस्लामिक अध्ययन में स्नातक किया था.

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काबुल पाकिस्तानी दूतावात पर आतंकी हमला महज नौटंकी
यह पूछे जाने पर कि आईएसकेपी ने काबुल में पाकिस्तानी दूतावास पर हमला क्यों किया, पूर्व सदस्य ने कहा कि यह सिर्फ एक नाटक था. उन्होंने कहा, 'काबुल में पाक दूतावास पर हमला सिर्फ एक नाटक था. पाकिस्तानी राजदूत को कुछ नहीं हुआ था, सिर्फ एक अंगरक्षक घायल हुआ था. वे आईएसकेपी समूह का सफाया करना चाहते हैं.' मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट की खुरासान शाखा के संस्थापक सदस्य अब्दुल रहीम मुस्लिमदोस्त ने अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद मार्च 2022 में आत्मसमर्पण कर दिया था.

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तालिबान के लिए चुनौती बन रहा आईएस समूह
आईएस समूह पिछले साल से तालिबान सरकार के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरा है, जो अफगान नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों और विदेशी हितों के खिलाफ हमले कर रहा है. तालिबान और आईएस एक कट्टर सुन्नी इस्लामवादी विचारधारा को साझा करते हैं, लेकिन आईएस एक वैश्विक खलीफा नव्यवस्था स्थापित करने के लिए लड़ रहे हैं. इसके उलट तालिबान एक स्वतंत्र अफगानिस्तान पर शासन करने के अधिक अंतर्मुखी उद्देश्य को लेकर चल रहा है.