Pervez Musharraf:कारगिल के विलेन पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का आज निधन हो गया. वे बीते काफी समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. दुबई में उनका इलाज चल रहा था. परवेज मुशर्रफ के तेवर हमेशा से भारत विरोधी रहे हैं,पर आपको क्या मालूम है कि उनका हिन्दुस्तान से गहरा नाता था. उनकी पुश्ते दिल्ली में पली बढ़ी थीं. पिता ब्रिटिश राज में एक अधिकारी थे. मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 में दिल्ली के दरियागंज (Daryaganj) में हुआ था. 2001 में जब वे भारत के दौरे पर आए थे तब वे अपनी पुश्तैनी हवेली को देखने पहुंचे थे. इसे देखकर वे भावुक हो उठे थे. क्या आप उस घर को देखना चाहेंगे जहां पर मुशर्रफ का पूरा परिवार रहा करता था.
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मुशर्रफ का घर 'नहर वाली हवेली'
दरियागंज (Daryaganj) की नहर वाली हवेली में मुशर्रफ का परिवार रहा करता था. उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन ब्रिटिश राज में सरकारी नौकर थे. वहीं लखनऊ की रहने वाली मां बेगम जरीन एक ग्रहणी थीं. मुशर्रफ के बचपन के कुछ साल दिल्ली की गलियों में बीते थे. मुशर्रफ के घर को 'नहर वाली हवेली' कहा जाता था. इसका शाब्दिक अर्थ है- नहर किनारे का घर. उनके पिता का नाम सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां का नाम बेगम जरीन था.
मुशर्रफ अपने परिवार में तीन भाईयों में से दूसरे स्थान पर थे. उनके बड़े भाई डॉ.जावेद मुशर्रफ एक अर्थशास्त्री हैं. वे रोम में रहते हैं. वहीं, उनके छोटे भाई अभी अमेरिका में हैं. वे एनेस्थेसियोलॉजिस्ट हैं.
मां जरीन की पढ़ाई इंद्रपस्थ कॉलेज में हुई
मुशर्रफ की मां जरीन की पढ़ाई इंद्रपस्थ कॉलेज में हुई थी. 1920 के आसपास जन्मी मुशर्रफ की मां जरीन का लखनऊ (इस समय यूपी की राजधानी है) में पालन-पोषण हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं से ली थी. इसके बाद जरीन दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य (English literature) में स्नातक की डिग्री ली थी.
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से स्नातक थे पिता
पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से स्नातक थे. वे अंग्रेज सरकार में सिविल सर्वेंट थे. उनका परिवार आरंभ से सरकारी नौकरी रहा था. बताया जाता है कि सैयद मुशर्रफुद्दीन के परदादा टैक्स कलेक्टर थे. वहीं नाना जज थे. 4 वर्ष की उम्र में मुर्शरफ ने बंटवार के वक्त भारत को छोड़ दिया. 1947 में परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद अपने परिवार समेत पाकिस्तान चले गए. यहां पर वे बड़े नौकरशाह बने.
अपने परिवार के साथ तुर्की में रहने लगे
पाकिस्तान पहुंचकर पिता सैयद ने नए पाकिस्तान सरकार में काम करना आरंभ किया. बाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से जुड़ गए. 1949 में पाकिस्तान के तुर्की स्थित दूतावास पहुंचे. इस कारण मुशर्रफ काफी समय तक अपने परिवार के साथ तुर्की में रहने लगे. इस दौरान उन्होंने तुर्की भाषा को बोलना सीखा.
सबसे अधिक गणित पसंद करते थे
दस साल के बाद यानि 1957 में इनका पूरा परिवार पाकिस्तान लौट आया. यहां परवेज की स्कूली शिक्षा कराची के सेट पैट्रिक स्कूल में हुई. वहीं कॉलेज की पढ़ाई लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चन कॉलेज में हुई. मुशर्रफ सबसे अधिक गणित पसंद करते थे. इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में रुचि दिखाई.
18 साल की उम्र में सेना में शामिल
1961 में 18 वर्ष के मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना में भर्ती हो गए. 1964 में पाकिस्तानी सेना की तोपखाना रेजिमेंट में उनकी नियुक्ति हुई. इसके बाद वे लगातार कई परीक्षाओं को पास कर तरक्की करते चले गए.
Source : Mohit Saxena