पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राहत, लाहौर हाईकोर्ट ने राजद्रोह पर कार्यवाही रोकी
लाहौर हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की याचिका पर पाकिस्तान सरकार को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह इस्लामाबाद की विशेष अदालत के समक्ष लंबित राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाए.
highlights
- पीएमएल-एन सरकार ने मुशर्ऱफ पर 2013 में राजद्रोह का मामला दर्ज किया था.
- इस मामले में दोष सिद्ध होने पर उन्हें हो सकती है फांसी तक की सजा.
- अब लाहौर हाईकोर्ट ने विशेष अदालत में कार्यवाही रोकने को कहा.
New Delhi:
लाहौर हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की याचिका पर पाकिस्तान सरकार को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह इस्लामाबाद की विशेष अदालत के समक्ष लंबित राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाए. गौरतलब है कि अपने आवेदन में मुशर्रफ ने हाईकोर्ट से गुजारिश की है कि वह विशेष अदालत में उनके खिलाफ राजद्रोह के मामले में लंबित सभी कार्यवाहियों को असंवैधानिक करार दे. उल्लेखनीय है कि मुशर्रफ पर तीन नवंबर 2007 को अतिरिक्त संवैधानिक आपातकाल लागू करने के आरोप हैं. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
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मंगलवार को आने वाला था फैसला
बता दें कि तीन सदस्यीय विशेष अदालत इस चर्चित एवं बहुप्रतीक्षित राजद्रोह मामले में कल यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है. इससे पहले इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को फैसला नहीं सुनाने का आदेश दिया था. मालूम हो कि विशेष अदालत मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे राजद्रोह मामले में 28 नवंबर को अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन इससे एक दिन पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसला सुनाने से रोक दिया था.
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2013 में दर्ज हुआ था राजद्रोह का मुकदमा
मुशर्रफ की ओर से लाहौर हाईकोर्ट में यह आवेदन 14 दिसंबर को उनके वकील ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी ने दायर किया था. सरकार को नोटिस जारी करते हुए लाहौर हाईकोर्ट ने आवेदन को सुनवाई के लिए मुख्य याचिका के साथ सुनने का फैसला किया. बता दें कि विशेष अदालत ने भी सरकार अभियोग दल की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि वह इस मामले में 17 दिसंबर को अपना फैसला देगी. पाकिस्तान की पीएमएल-एन सरकार ने उनके खिलाफ साल 2013 में यह मामला दर्ज किया था. इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत की जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने की है.
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