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Pakistan Election: क्या पाकिस्तान की सत्ता पर परिवारवाद है हावी? जानें किन खानदानों का यहां रहा है दबदबा

पाकिस्तान की सियासी कमान किसके हाथों में जाएगी, ये आने वाला वक्त बताएगा. हालांकि शुरुआती रुझानों मे  इमरान खान की पार्टी पीटीआई 111 सीटों पर आगे चल रही है.

Updated on: 09 Feb 2024, 05:51 AM

नई दिल्ली:

देश की तरह पड़ोसी मुल्क में भी परिवारवाद का मुद्दा जोरशोर से उठता है. यहां भी परिवारवाद की जड़ें काफी गहरी हैं. इस बार फिर आम चुनाव में ये मुद्दा गरमा गया है. इस चुनाव में नवाज शरीफ, भुट्टो फैमली के बिलावल हों या फिर गफ्फार खान की पीढ़ी हो सभी ताल ठोक रहे हैं. 8 फरवरी यानि आज मतदान हुआ और अब मतगणना चल रही है. पाकिस्तान की सियासी कमान किसके हाथों में जाएगी, ये आने वाला वक्त बताएगा. हालांकि शुरुआती रुझानों मे  इमरान खान की पार्टी पीटीआई 125 सीटों पर आगे चल रही है. पाकिस्तान में शुरुआती रूझानों में इमरान समर्थकों में खुशी की लहर है. कुल 265 में से 177 सीटों के रूझान सामने आए हैं. जिनमें PTI को 125, PML को 44 और PPP को 28 सीटों पर बढ़त मिली है. परिवारवाद की बात करें तो देश में दशकों से सत्ता विभिन्न परिवारों के हाथों में रही है. 

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शरीफ खानदान, दोनों भाई पीएम बने, इस बार बेटी-भतीजे पर दांव 

नवाज शरीफ चौथी बार पीएम बनने की रेस में हैं. पाकिस्तान में ऐसी चर्चा कि सेना का समर्थन नवाज शरीफ के साथ है. ऐसे में पाकिस्तान के अगले PM भी हो सकते हैं. नवाज शरीफ के पिता मियां मोहम्मद बंटवारे से पहले भारत से लाहौर आए थे. यहां पर उन्होंने स्टील का कारोबार आरंभ किया. पैसे के कारण उनकी गिनती देश के जाने-माने व्यापारियों में होने लगी. इसके बाद जनरल जिया उल हक ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने खुद न आकर अपने बेटे को राजनीति में उतारा. आज नवाज शरीफ और शाहबाज दोनों पीएम बन चुके हैं. 

पाकिस्तान पूर्व पीएम नवाज शरीफ 1976 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग से जुड़े थे. उन्हें 1980 में पंजाब का वित्त मंत्री बनाया गया. इसके बाद 1985 में पंजाब के सीएम बने. यही कारण है कि जिया उल हक की मृत्यु के बाद शरीफ परिवार सेना का समर्थन प्राप्त हुआ. बाद में पार्टी खड़ी की. भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर नवाज शरीफ को पीएम पद हाथ धोना पड़ा. इस बार शरीफ चौथी बार रेस में शामिल हैं. अब नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज और भतीजे हमजा शाहबाज शरीफ को लाहौर से चुनाव के मैदान में उतारा गया है. 

भुट्टो-जरदारी खानदान, पीपीपी ने सिंध पर तीन बार शासन किया

पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के बाद उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो पीएम बनीं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी रहे हैं. मां बेनजीर की मृत्यु के बाद बिलावल भुट्टो जरदारी ने राजनीतिक विरासत को संभाला है. बिलावल सिंध और पंजाब से चुनावी मैदान में हैं. उनकी पार्टी पीपीपी ने 2008 से सिंध पर तीन बार शासन किया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर उम्मीदवार सिंध के 12 प्रमुख राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं. पीपीपी के को-चेयरमैन आसिफ अली जरदारी भी मैदान में हैं. वहीं उनकी बहनें शाहिद बेनजीराबाद और फरयाल तालपुर को टिकट मिला है. 

गफ्फार खान का परिवार

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में गफ्फार खान का परिवार भी परिवारवाद को पेश करता है. गफ्फार खान वहीं हैं जिन्होंने 20 साल की उम्र में पेशावर में स्कूल खोला था. अंग्रेजो को ये रास नहीं आया तो पाबंदी लगाई गई. मगर शिक्षा के लिए जागरुकता फैलाने पर पाकिस्तान ने भी इसे देशद्रोही करार दिया. ये ऐसे पाकिस्तानी हैं जिन्हें भारत ने भारत रत्न दिया. इनके बेटे अब्दुल वली खान चुनावी मैदान में हैं. वे अवामी नेशनल पार्टी के अध्यक्ष रहे.