पाकिस्तान ने फिर की नापाक हरकत, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भारत को घेरने की कोशिश की
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आ रहा है. इस बार पाकिस्तान ने राम मंदिर को लेकर भारत को घेरने की कोशिश की.
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान (Pakistan) अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आ रहा है. इस बार पाकिस्तान ने राम मंदिर को लेकर भारत को घेरने की कोशिश की. पाकिस्तान (Pakistan) ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण शुरू करने के लिए भारत की आलोचना करते हुए कहा है कि यह दर्शाता है कि देश में मुसलमान कैसे हाशिये पर रखा जा रहा है. भारत के उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मालिकाना हक मामले में सुनाए गए अपने फैसले में कहा था कि पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला को सौंप दी जानी चाहिए जो कि तीन वादियों में से एक हैं.
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साथ ही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित करे. पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने बुधवार रात एक बयान में कहा कि ऐसे में जब पूरी दुनिया अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी से जूझ रही है ‘आरएसएस-भाजपा गठजोड़’ ‘हिंदुत्व’ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है.
उसने कहा कि अयोध्या में ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद स्थल पर 26 मई 2020 को मंदिर निर्माण की शुरुआत इस दिशा में एक और कदम है तथा पाकिस्तान की सरकार और लोग इसकी कड़ी निंदा करते हैं. बयान में कहा गया कि मंदिर निर्माण की शुरुआत भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा नौ नवम्बर को सुनाए गए फैसले की अगली कड़ी है जो ‘न्याय की मांग को बरकरार रखने में पूरी तरह से विफल रहा’.
भारत ने राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पाकिस्तान की ओर से की गई ‘अवांछित और अकारण टिप्पणी’ को बार बार खारिज किया है. भारत का कहना है कि एक दीवानी मामले में भारत के उच्चतम न्यायालय का फैसला भारत का पूरी तरह से आंतरिक मामला है. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि बाबरी मस्जिद, संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी प्रक्रिया की शुरुआत से संबंधित घटनाक्रम यह स्पष्ट करता है कि मुस्लिमों को भारत में किस तरह से हाशिये पर रखा जा रहा है.
दिसम्बर 2019 में संसद द्वारा पारित नये नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. भारत सरकार का कहना है कि संशोधित नागरिकता कानून देश का एक आंतरिक मामला है और इसका लक्ष्य पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा करना है. असम में एनआरसी प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर शुरू की गई थी.
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