पाकिस्‍तानः PM इमरान खान की बढ़ी मुश्‍किलें, इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर एक भाषण में न्यायपालिका का मजाक उड़ाने और अदालत की गंभीर अवमानना करने का आरोप

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर एक भाषण में न्यायपालिका का मजाक उड़ाने और अदालत की गंभीर अवमानना करने का आरोप

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Drigraj Madheshia
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पाकिस्‍तानः PM इमरान खान की बढ़ी मुश्‍किलें, इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

इमरान खान( Photo Credit : फाइल)

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर एक भाषण में न्यायपालिका का मजाक उड़ाने और अदालत की गंभीर अवमानना करने का आरोप लगाने वाली यचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. यह याचिका अधिवक्ता सलीमुल्ला खान द्वारा सोमवार को दायर की गई थी. इसमें प्रधानमंत्री खान के एक हालिया भाषण के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणी का जिक्र किया गया है.

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खान ने यह टिप्पणी रावलपिंडी से 140 किमी दूर हजारा मोटरवे के एक खंड के उद्घाटन समारोह में की थी. डॉन अखबार की खबर के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने (न्यायालय की) गंभीर अवमानना की है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्ला ने मंगलवार को याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने वादी से पूछा, ‘‘प्रधानमंत्री के भाषण से आपको क्या समस्या है?’’

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याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, ‘‘प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका का मजाक उड़ाया है.’’ न्यायमूर्ति मिनाल्ला ने कहा, ‘‘अदालत आलोचना का स्वागत करती है. क्या आप निर्वाचित प्रधानमंत्री पर मुकदमा चाहते हैं? क्या आप इस तरह के कदम का नतीजा चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को अयोग्य करार दिया जाए?’’ बहरहाल, अदालत ने इस विषय की सुनवाई दिन भर स्थगित कर दी.

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खान ने अपने भाषण में पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुलजार अहमद से न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बहाल करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली में रसूखदार और आम आदमी से किये जाने वाले व्यवहार में विसंगति है. वहीं, न्यायमूर्ति खोसा ने खान की टिप्पणी के जवाब में कहा, ‘‘रसूखदार लोगों के समर्थन के लिये हम पर तंज नहीं करिये क्योंकि हमारे समक्ष सभी लोग समान हैं.’’ 

Source : Bhasha

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