पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी सेना प्रमुख ने बातचीत के ज़रिए कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की बात कही है। पाकिस्तानी सेना के जनरल क़मर जावेद बाजवा इस्लामाबाद में 'रक्षा दिवस' पर आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे।
इस कार्यक्रम के दौरान बाजवा ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर होना चाहिए। बाजवा ने कहा कि तरक्की के लिए शांति जरूरी है इसलिए राजनीतिक स्तर पर ही सामाधान निकालने की कोशिश हो तो बेहतर है।
बाजवा ने भारत का नाम लिए बगैर कहा, 'दक्षिण एशिया में परमाणु हथियार हम लेकर नहीं आए। और हमारे परमाणु हथियार साधारण रूप से शांति बनाए रखने की गारंटी है। यह हमारा उस पड़ोसी देश को जवाब है, जो ताकत में कहीं आगे है। यह वही देश है, जो दक्षिण एशिया में एक गैर परंपरागत युद्ध लेकर आया है।'
जनरल बाजवा ने कहा, 'सुपर पावर के द्वारा शुरू किए युद्ध की कीमत हमने आतंकवाद, उग्रवाद और आर्थिक नुकसान के रूप में चुकाई है। हम अपनी नीति पर अडिग हैं कि हम अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं होने देंगे और दूसरे देशों से भी हम यही आशा रखते हैं।'
पाकिस्तान ने माना उसकी शह पर पल रहे हैं जैश-लश्कर जैसे आतंकी संगठन
बता दें कि गुरुवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख़्वाज़ा मोहम्मद आसिफ ने यह कबूल किया कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) व जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे संगठन उसकी जमीन पर सक्रिय हैं।
ख़्वाज़ा आसिफ ने जियो न्यूज को दिये इंटरव्यू में कहा, 'जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित संगठन है। हमारे देश में भी प्रतिबंधित है। ब्रिक्स के फैसले पर कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'हमें लश्कर और जैश की गतिविधियों पर कुछ अंकुश लगाना होगा ताकि वैश्विक समुदाय को यह दिखा सकें कि हमने अपना घर दुरुस्त किया है।'
आतंकवाद के ज़रिए कश्मीर मुद्दे का हल ढूंढ़ने वाले पाकिस्तान के रवैये में जिस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है कहीं वो अंतर्राष्ट्रीय दबाव का असर तो नहीं।
अमेरिका ने पाक को चेताया, कहा- आतंकवाद को लेकर बदले अपना रवैया
ज़ाहिर है हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्थिरता में लगातार सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए ब्रिक्स देशों की सराहना करते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर अपना रवैया बदलने को कहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के शियामेन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पांचों देशों ने अफगानिस्तान में तत्काल हिंसा समाप्त करने की वकालत की।
ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में अफगान तालिबान, इस्लामिक स्टेट समूह, अल-कायदा, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान और हिजबुत तहरीर आतंकवादी संगठनों के नामों का उल्लेख किया था।
ऐसा पहली बार हुआ कि ब्रिक्स देशों ने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के नाम घोषणापत्र में शामिल किए और इन पर लगाम लगाने पर भी चर्चा की।
BRICS में आतंकवाद समर्थक देश चिह्नित किए जाने पर भड़का पाकिस्तान, घोषणापत्र को किया खारिज
Source : News Nation Bureau