पाकिस्तान ने कट्टरपंथी फैज हमीद को सौंपी आईएसआई की कमान, 8 महीने में ही हटा दिया मुनीर को
कंगाल पाकिस्तान में कट्टर माने जाने वाले फैज हमीद को चुना जाना हैरान करने वाला फैसला है. खासतौर पर आसिम मुनीर को पद संभाले हुए महज 8 महीने ही हुए थे.
highlights
- लेफ्टिनेंट जनरल फैज अहमद आईएसआई के मुखिया बने.
- कट्टर फैज हमीद को चुना जाना हैरान करने वाला फैसला.
- मुनीर को 8 महीने में पद से हटाकर फैज को लाना गले नहीं उतर.
नई दिल्ली.:
कंगाल पाकिस्तान ने एक बड़ा फैसला करते हुए अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल फैज अहमद को नियुक्त किया है. उन्हें ले. जनरल आसिम मुनीर की जगह पर नियुक्त किया गया है. कट्टर माने जाने वाले फैज हमीद को चुना जाना हैरान करने वाला फैसला है. खासतौर पर आसिम मुनीर को पद संभाले हुए महज 8 महीने ही हुए थे. आमतौर पर आईएसआई के चीफ का कार्यकाल 3 साल का होता है.
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मुनीर को हटाने का कारण स्पष्ट नहीं
पहले भी आईएसआई में काम कर चुके फैज हमीद को एजेंसी का डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया है. पाकिस्तानी सेना की प्रेस विंग ने बयान जारी कर फैसले की जानकारी दी है, लेकिन यह नहीं बताया कि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही मुनीर को क्यों हटाया गया. पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 72 सालों में आधे से ज्यादा वक्त तक सेना का ही शासन रहा है.
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आईएसआई की पकड़ सेना पर मजबूत
ऐसे में सेना से जुड़े कट्टरपंथी विचारधारा के फैज हमीद को आईएसआई का मुखिया बनाए जाने से साफ है कि उसकी पकड़ पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठानों पर मजबूत है. पाकिस्तान में आईएसआई के मुखिया का पद खासा ताकतवर माना जाता है. एजेंसी पर लंबे समय से आतंकियों को पनाह देने और उनके जरिए भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के आरोप लगते रहे हैं. अफगानिस्तान तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों के प्रश्रय देने के आरोप भी उस पर लगे हैं.
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बढ़ेगा अहम फैसलों में दखल
विश्लेषकों के मुताबिक हमीद लंबे समय से आईएसआई में प्रभावशाली रहे हैं. 2017 के अंत में इस्लामाबाद में हुए आंदोलन के गतिरोध को समाप्त करते हुए फैजाबाद समझौता कराने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. पाकिस्तानी सेना के बिजनस एम्पायर पर एक किताब लिखने वालीं विश्लेषक आएशा सिद्दीका ने का, 'वह बेहद कट्टर हैं'. आएशा ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'यह बेहद आक्रामक फैसला है. इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि आर्मी कमजोर नहीं हुई है बल्कि अहम फैसलों में उसका दखल बढ़ ही गया है.'
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