सहम गया पाकिस्‍तान : रूस ने कहा, भारत के साथ पहले तनाव कम करो

अमेरिका, रूस, सऊदी अरब, यूएई, तुर्की, मलेशिया, ईरान आदि देशों से पाकिस्‍तान को पहले ही निराशा हाथ लग चुकी है.

अमेरिका, रूस, सऊदी अरब, यूएई, तुर्की, मलेशिया, ईरान आदि देशों से पाकिस्‍तान को पहले ही निराशा हाथ लग चुकी है.

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Sunil Mishra
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सहम गया पाकिस्‍तान : रूस ने कहा, भारत के साथ पहले तनाव कम करो

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी

दुनिया भर से दुत्‍कारे जाने के बाद पाकिस्‍तान ने थक-हारकर रूस का नंबर डायल कर दिया. उसे उम्‍मीद थी कि वहां से अच्‍छा रिस्‍पांस मिलेगा, जबकि वहां के राष्‍ट्रपति ने पहले ही जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर भारत के पक्ष में बयान दे दिया था. अब जब पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने वहां के विदेश मंत्री का नंबर डायल किया तो उन्‍हें अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि रूस से भी उन्‍हें ऐसी डांट पड़ने वाली है. अमेरिका, रूस, सऊदी अरब, यूएई, तुर्की, मलेशिया, ईरान आदि देशों से पाकिस्‍तान को पहले ही निराशा हाथ लग चुकी है.

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कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 14 अगस्त को रूस के विदेश मंत्री सेर्गे लावरोव को फोन किया. इसके बाद रूस ने एक बयान जारी कर कहा कि दोनों देशों के बीच जम्मू-कश्मीर के बदले हालात पर चर्चा हुई. रूस ने डांटने के अंदाज में पाकिस्‍तान से कहा, भारत से सारे मतभेद द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाए. और कोई विकल्‍प नहीं है. रूस ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में उसके प्रतिनिधि इसी रुख पर कायम रहेंगे. रूस ने यह भी साफ कर दिया कि संयुक्त राष्ट्र की इसमें कोई भूमिका नहीं होगी.

इस बीच खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4-6 सितंबर को रूस के व्लादिवोस्टोक में होने वाली ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में हिस्सा लेंगे. इस बैठक के दौरान भी भारत-रूस के एजेंडे में कश्मीर मुद्दा शामिल रहेगा.

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रूस P5 (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी देश- चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस) का पहला देश था, जिसने कश्मीर के मुद्दे को आतंरिक मुद्दा बताया था. रूस ने पाकिस्‍तान को 1972 के शिमला समझौते की भी याद दिलाई. बता दें कि शीत युद्ध के समय में भी तत्‍कालीन सोवियत संघ (अब रूस) ने कश्मीर पर आए कई प्रस्तावों पर वीटो किया था.

दुनिया भर के देशों का रिएक्‍शन देखने के बाद पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे को उठाना और उस पर औपचारिक चर्चा कराना आसान नहीं होगा. पाकिस्तान को अनौपचारिक तौर पर अपनी बात रखने का मौका मिल सकता है. इससे अधिक उसे कुछ हासिल नहीं होने जा रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी स्वीकार चुके हैं कि भारत की आर्थिक ताकत के आगे पाकिस्तान को उसके खिलाफ समर्थन जुटाना मुश्किल हो रहा है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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