पाक NSA ने किया तालिबान से जुड़ने का आह्वान, छोड़ने पर कीमत चुकाने की चेतावनी

वेबिनार के आयोजक सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीएएसएस) ने यूसुफ के हवाले से कहा,

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Pradeep Singh
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Pakistan NSA Moeed Yusuf

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ( Photo Credit : News Nation)

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा है कि अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ना गलती होगी. अफगानिस्तान के भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता पर शनिवार को एक वेबिनार में बोलते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा कि युद्धग्रस्त देश को अकेला छोड़ना एक गलती होगी. पाक NSAमोईद यूसुफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान के साथ बातचीत करने का आह्वान किया ताकि एक और शरणार्थी संकट को रोका जा सके. वेबिनार के आयोजक सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीएएसएस) ने यूसुफ के हवाले से कहा, "दुनिया को अफगानिस्तान को छोड़ने की कीमत के बारे में सोचना चाहिए."

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भारत और पश्चिमी देशों ने तालिबान के मुद्दे पर 'इंतजार करो और देखो' की नीति का विकल्प चुना है क्योंकि वे तालिबान के घोर मानवाधिकार उल्लंघन के इतिहास को देखते हुए इस्लामी कट्टरपंथियों के साथ जुड़ने को लेकर आशंकित हैं. शरिया कानून के कठोर संस्करण को अपनाने वाला तालिबान अपने पिछले शासन के दौरान लड़कियों की शिक्षा और कार्यस्थलों पर महिलाओं के जाने और उनके सार्वजनिक तौर पर घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. वे स्टेडियमों में सार्वजनिक फांसी आयोजित करने के लिए भी कुख्यात थे.

यह भी पढ़ें:पाकिस्तान, चीन के निशाने पर हैं अफगानिस्तान में आतंकी संगठन टीटीपी, बीएलए, ईटीआईएम

दूसरी ओर, पाकिस्तान अफगानिस्तान में सरकार बनाने में सक्रिय था. इस हफ्ते की शुरुआत में तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पुष्टि की कि पाकिस्तान के शक्तिशाली खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने सरकार को अंतिम रूप देने के प्रयासों के बीच मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की. बाद में बरादर को अनंतिम सरकार का उप प्रधान मंत्री बनाया गया. 

यूसुफ ने कहा कि तत्कालीन सोवियत संघ और तथाकथित अफगान मुजाहिदीन के बीच संघर्ष समाप्त होने के बाद पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को छोड़ने की एक भयावह गलती की थी. 90 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान में एक लंबे समय तक गृहयुद्ध देखा गया जिसके कारण मुल्ला उमर के नेतृत्व में तालिबान का गठन हुआ.

उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश था जिसने अफगानिस्तान को छोड़ने का खामियाजा उठाया, एक ऐसा देश जिसने तालिबान के शासन के तहत अल कायदा के नेताओं को आश्रय प्रदान किया, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य में 9/11 के हमले हुए. पाकिस्तान एनएसए ने आगे कहा कि अफगानिस्तान में शासन- प्रशासन के पतन और एक और शरणार्थी संकट को रोकने के लिए दुनिया को अफगान तालिबान से रचनात्मक रूप से जुड़ने की जरूरत है.

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा है कि अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ना गलती होगी
  • पाक NSAमोईद यूसुफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान के साथ बातचीत करने का आह्वान किया
  • भारत और पश्चिमी देशों ने तालिबान के मुद्दे पर 'इंतजार करो और देखो' की नीति का विकल्प चुना है
pakistan nsa moeed yusuf Centre for Aerospace & Security Studies taliban human rights violations
      
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