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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप( Photo Credit : फाइल फोटो)
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप( Photo Credit : फाइल फोटो)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच मामले की खुली सुनवाई अगले सप्ताह शुरू होगी और यह दो दिनों तक चलेगी. इस प्रक्रिया से जुड़े एक सांसद ने बुधवार को यह जानकारी दी. हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन के लिए मौजूदा शीर्ष अमेरिकी राजनयिक विलियम टेलर सहित दो अमेरिकी अधिकारी बुधवार को अपना बयान दर्ज कराएंगे.
टेलर ने ही आरोप लगाए थे कि ट्रंप ने जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए कहा था, ताकि राजनीतिक रूप से राष्ट्रपति को फायदा हो. शिफ ने कहा कि यूक्रेन में नियुक्त रही अमेरिका की पूर्व राजदूत मैरी योवानोविच 15 नवंबर शुक्रवार को अपनी गवाही देंगी. उन्होंने जांचकर्ताओं को बताया कि ट्रंप के सहयोगियों द्वारा फैलाए गए झूठ के कारण उन्हें पद से हटाया गया है. इसबीच, ट्रंप के बेटे ने कथित तौर पर उस व्हिसिलब्लोअर का नाम सार्वजनकि कर दिया है, जिसकी शिकायत ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का आधार तैयार किया था.
ट्रंप प्रशासन की अति प्रतिबंधात्मक नीतियों के चलते एच-1बी आवेदनों को खारिज किए जाने की दर 2015 के मुकाबले इस साल बहुत अधिक बढ़ी हैं. एक अमेरिकी थिंक टैंक की तरफ से किए गए अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नामी गिरामी भारतीय आईटी कंपनियों के एच-1बी आवेदन सबसे ज्यादा खारिज किए गए हैं. ये आंकड़ें उन आरोपों को एक तरह से बल देते हैं कि मौजूदा प्रशासन अनुचित ढंग से भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है.
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नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की ओर से किए गए इस अध्ययन के मुताबिक 2015 में जहां छह प्रतिशत एच-1बी आवेदन खारिज किए जाते थे, वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में यह दर बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई है. यह रिपोर्ट अमेरिका की नागरिकता और आव्रजन सेवा यानि यूएससीआईएस से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है.
उदाहरण के लिए 2015 में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और गूगल में शुरुआती नौकरी के लिए दायर एच-1बी आवेदनों में महज एक प्रतिशत को खारिज किया जाता था. वहीं 2019 में यह दर बढ़कर क्रमश: छह, आठ, सात और तीन प्रतिशत हो गई है. हालांकि एप्पल के लिए यह दर दो प्रतिशत ही बनी रही.
Source : Bhasha