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नेपाल में ओली सरकार को बड़ी सफलता, प्रचण्ड को काउंटर देने की रणनीति

नेपाल सरकार ने देश में सशस्त्र विद्रोह की घोषणा कर भूमिगत रहे माओवादी को एक गुट के समझौता कर मूलधार की राजनीति में लाने में सफलता हासिल किया है.

Updated on: 04 Mar 2021, 04:37 PM

काठमांडू:

नेपाल सरकार ने देश में सशस्त्र विद्रोह की घोषणा कर भूमिगत रहे माओवादी को एक गुट के समझौता कर मूलधार की राजनीति में लाने में सफलता हासिल किया है. कभी प्रचण्ड के कमांडर के रूप में भूमिगत रहे नेत्र विक्रम चन्द 'विप्लव' को शांति प्रक्रिया में लाकर ओली सरकार ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. प्रचण्ड के साथ पहली बार सार्वजनिक जीवन में आने के बाद कालांतर में विप्लव फिर से प्रचण्ड से अलग हो गए थे. अलग पार्टी बनाने के कुछ साल बाद वो भूमिगत होने की घोषणा के साथ ही राज्य के विरोध में सशस्त्र विद्रोह की घोषणा कर दी थी.

विप्लव को मूलधार की राजनीति में लाकर ओली ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी प्रचण्ड को काउंटर देने का प्रयास किया है. पिछले दो दिन से विप्लव और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद गुरुवार को दोनों पक्षों के तरफ से एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया, जिसमें विप्लव समूह के द्वारा सभी हथियार को सरकार को सौंपने और सरकार के तरफ से जेल में बंद उनके सभी कार्यकर्ताओं को रिहा करने पर सहमति बनी है. काठमांडू में शुक्रवार को एक समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री ओली के समक्ष विप्लव सार्वजनिक होकर शांतिपूर्ण राजनीति की शुरुआत करने वाले हैं.

नेपाल में संसद अधिवेश से ठीक पहले एक्शन-रिएक्शन का खेल जारी

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संसद अधिवेशन की बैठक से ठीक पहले सत्ताधारी नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी के दो गुटों के बीच पार्टी से निष्कासन और निलंबन का खेल शुरू हो गया है. पार्टी के अध्यक्ष प्रचण्ड ने बुधवार को अपने गुट की स्थाई समिति और केंद्रीय समिति की बैठक से प्रधानमंत्री केपी ओली को संसदीय दल के नेता से हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. जल्द ही पार्टी की संसदीय दल की बैठक बुलाकर ओली को औपचारिक रूप से संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया जाएगा.

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के पास कुल 172 सांसद हैं, जिसमें दोनों ही पक्ष अपने पास बहुमत होने का दावा कर रहा है. इस समय प्रचण्ड पक्ष यह दावा कर रहा है कि उसके पास संसदीय दल में बहुमत है और करीब 100 सांसदों का समर्थन भी हासिल है. वहीं, ओली पक्ष का दावा है कि उनके पक्ष में 90 से अधिक सांसदों का समर्थन है और यह संख्या 100 के पार होने की उम्मीद जताई गई है. ओली के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में 90 सांसदों का हस्ताक्षर किया गया था.

ओली को संसदीय दल के नेता से हटाने के अलावा संसदीय दल के उपनेता सुवास नेम्बांग, प्रमुख सचेतक विशाल भट्टराई, सचेतक शांता चौधरी, ओली सरकार में मंत्री प्रभु साह सहित आधा दर्जन से अधिक नेताओं को पार्टी से 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है.