दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद शुरू हुई रार अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज एक बार फिर आमने-सामने आ गए. मसला ब्रिटेन की सांसद डेब्बी अब्राहम को भारत से वापस भेजे जाने का था. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया तो शशि थरूर (Sashi Tharoor) ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए इसका विरोध किया. बता दें कि डेब्बी अब्राहम जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के विशेष दर्जे को वापस लेने के भारत के कदम की आलोचक रही हैं.
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सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, 'डेब्बी अब्राहम को भारत द्वारा डिपोर्ट करना जरूरी था. वह एक सांसद के तौर पर नहीं, बल्कि पाकिस्तान का छद्म रूप बनकर आ रही थीं. पाकिस्तान और आईएसआई से उनकी करीबी जगजाहिर है. भारत की एकता और अखंडता पर होने वाले हर हमले को नाकाम करना चाहिए.'
दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मामले में भारत सरकार पर सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया था, ‘ब्रिटिश सांसद, जिन्होंने जम्मू कश्मीर पर सरकार की आलोचना की, पर प्रतिक्रिया स्वरूप उन्हें हवाई अड्डे पर रोक दिया गया : यह आचरण एक लोकतंत्र के लिए वाकई अशोभनीय है......’
इससे पहले डेबी अब्राहम ने दावा किया था कि दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के बाद वैध वीजा होने पर भी उन्हें भारत से वापस लौटा दिया गया था. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका खंडन करते हुए कहा, उन्हें (पहले ही) सूचना दे दी गई थी कि उनका ई-वीजा रद्द कर दिया गया है.
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अब्राहम ने कहा, वह अपने परिवार और दोस्तों से मिलने वैध ई-वीजा पर यात्रा कर रही थीं, लेकिन उनका वीजा रद्द कर दिया गया. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटिश सांसद को सूचना दे दी गई थी कि उनका वीजा रद्द कर दिया गया है. फिर भी वह दिल्ली आ गईं.
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पीटीआई के अनुसार, अब्राहम ने कहा कि उन्हें ‘13 फरवरी से पहले कोई मेल नहीं मिला था.' उसके बाद से वह यात्रा पर हैं और अपने कार्यालय से दूर हैं. बताया जाता है कि अब्राहम का ई-वीजा अक्टूबर में जारी किया गया था और वह अक्टूबर 2020 तक वैध था.
Source : News Nation Bureau