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अब नेपाल भी दिखा रहा आंख, सूचना तकनीक बिल की आड़ में भारत पर हमला

Updated on: 02 Jan 2020, 01:57 PM

highlights

  • भारत समेत अमेरिका की खुफिया संस्थाओं के नेपाल में दखल का आरोप.
  • सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी ला रही बिल जिससे हो सकेंगे फोन टेप.
  • नेपाली कांग्रेस के विरोध के बावजूद सरकार ने संसद में विधेयक पेश किया.

नई दिल्ली:

भारत के पड़ोसी देश नेपाल की चीन से बढ़ती नजदीकी एक बार फिर वहां भारत विरोधी भावनाओं को भड़का सकती हैं. नेपाल में विवादास्पद सूचना तकनीक विधेयक पर सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद की भारत पर आपत्तिजनक टिप्पणी इसकी शुरुआत बन सकती है. नेपाली संसद में सांसद राम नारायण बिदरी ने कहा है कि विधेयक देश की एजेंसियों को बिना अदालती आदेश के किसी का भी फोन टेप करने की इजाजत देगा. इससे भारत समेत विदेश की खुफिया संस्थाओं के नेपाल में दखल और गतिविधियों का पता चल सकेगा.

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विपक्षी दल नहीं बिल के समर्थन में
गौरतलब है कि मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के कड़े विरोध के बावजूद सरकार ने संसद में इस विधेयक को पेश किया है. सांसद बिदरी ने सदन में चल रही बहस में कहा, विदेशी खुफिया एजेंसी- अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) और भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का नेपाल की अंदरूनी गतिविधियों में दखल रहता है. इसे अच्छी तरह से देखे जाने की जरूरत है. ताजा विधेयक नेपाल में बाहरी हस्तक्षेप रोकने में सहायक साबित होगा.

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नेपाल की सुरक्षा के लिए जरूरी!
यह विधेयक सरकारी एजेंसियों को संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने का भी अधिकार देता है. इससे विदेशी खुफिया एजेंसियों की नेपाल में गतिविधियों और उनके मिशन का भी पता चलेगा. साथ ही सरकार उन एजेंटों के बारे में भी जान सकेगी, जो नेपाल में रहकर विदेश के लिए जासूसी कर रहे हैं. वित्त मंत्री युबराज खातीवाड़ा ने भी विधेयक के पक्ष में कहा कि इसके पारित हो कानून बनने से नेपाल की खुफिया क्षमता में वृद्धि होगी. इसके उलट नेपाली कांग्रेस का कहना है कि विधेयक संविधान विरोधी है और इससे आजादी या निजता के अधिकार के अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन होगा.