अब तालिबान के सामने अफगानिस्तान के लोगों के सम्मान की रक्षा का बड़ा इम्तिहान : राष्ट्रपति गनी
तालिबान ने ठान लिया है कि मुझे रास्ते से हटाना है. वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं. इस खून-खराबे को रोकने के लिए यही बेहतर था कि मैं यहां से चला जाऊं.
highlights
- अफगानिस्तान छोड़कर ताजिकिस्तान चले गये राष्ट्रपति
- तालिबान ने लोगों का दिल नहीं जीता है
- तालिबान ने ठान लिया है कि मुझे रास्ते से हटाना है
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान अब तालिबान के कब्जे में है. निर्वाचित राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर ताजिकिस्तान चले गये. इसके बाद तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया. रविवार रात तालिबान नेताओं ने राष्ट्रपति भवन में बैठकर समाचार चैनलों को एक इंटरव्यू दिया. इंटरव्यू में तालिबान ने दावा किया है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी 50 लाख डॉलर कैश लेकर देश छोड़ने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन ये पैसा राष्ट्रपति महल के हेलीपैड पर ही रह गया. अब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश के नागरिकों के नाम संदेश जारी किया है. इसमें उन्होंने देश छोड़ने की वजह बताई है. यह भी बताया कि उन्हें आगे क्या संभावनाएं नजर आती हैं.
पढ़िए अशरफ गनी की चिट्ठी :
प्यारे देशवासियों
आज मेरे सामने एक मुश्किल चुनाव था; मैं तालिबान का सामना करने के लिए खड़ा रहूं, जो हथियारों से लैस हैं और राष्ट्रपति भवन में घुसना चाहते हैं या उस देश को छोड़कर चला जाऊं जिसकी रक्षा करने में मैंने अपने 20 साल दिए हैं. अगर मैं तालिबान से लड़ने का विकल्प चुनता तो, कई नागरिक शहीद होते और काबुल हमारी आंखों के सामने तबाह होता. इस 60 लाख की आबादी वाले शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी देखनी पड़ती.
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तालिबान ने ठान लिया है कि मुझे रास्ते से हटाना है. वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं. इस खून-खराबे को रोकने के लिए यही बेहतर था कि मैं यहां से चला जाऊं. तालिबान तलवारों और बंदूकों के साथ यह युद्ध जीत गए हैं और अब लोगों की इज्जत, दौलत और खुद्दारी की रक्षा करने की जिम्मेदारी तालिबान की है.
तालिबान ने लोगों का दिल नहीं जीता है. इतिहास में कभी सिर्फ ताकत के दम पर किसी को नहीं स्वीकारा गया है, न कभी स्वीकारा जाएगा. अब तालिबान के सामने बड़ा इम्तिहान है. या तो वे अफगानिस्तान के लोगों के नाम और सम्मान की रक्षा करेंगे या फिर दूसरी जगहों और अपने विस्तार पर ध्यान देंगे.
कई लोग सहमे हुए हैं और तालिबानी भरोसे के लायक नहीं हैं. यह जरूरी है कि वे देश की अवाम, अलग-अलग महकमों, बहनों और औरतों को यकीन दिलाएं कि उनका दिल जीतेंगे. आने वाले वक्त का एक प्लान बनाएं और उसे लोगों के साथ बांटें. मैं हमेशा अपने लोगों की खिदमत करता रहूंगा.
आगे के लिए और भी बातें हैं. अफगानिस्तान जिंदाबाद!
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