विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंध और कोरोना की वजह से सीमा पाबंदी के बावजूद ऐसी संभावना है कि उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था को संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
योनहाप समाचार एजेंसी ने कोरिया इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल यूनिफिकेशन के एक रिसर्च फेलो चोई जी-यंग के हवाले से कहा कि उत्तर ने कच्चे तेल और उर्वरकों जैसे आवश्यक आर्थिक सामग्रियों का आयात जारी रखा है, जिससे इसके उद्योगों के पंगु होने की संभावना कम हो जाती है।
सियोल में एक सेमिनार में उन्होंने कहा, प्रतिबंधों की परवाह किए बिना देश में कच्चा तेल पेश किया गया है, जबकि किम जोंग-उन के सत्ता में आने के बाद स्थानीय उर्वरक उत्पादन में वृद्धि हुई है। उत्तर कोरिया ने भी इस साल समुद्र के रास्ते उर्वरकों का आयात किया है।
सेजोंग इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च फेलो चोई यून-जू ने कहा, मौजूदा स्थिति के तहत उत्तर अपनी विदेश नीति की दिशा में बदलाव की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा, अगर उत्तर कोरिया को आर्थिक कठिनाइयों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना रुख बदलना है, तो स्थिति उतनी ही खराब होनी चाहिए जितनी 1990 के दशक में थी। लेकिन स्थिति इतनी खराब नहीं होगी।
चोई ने कहा कि समावेशी देश की अर्थव्यवस्था में किम के तहत कुछ सुधार हुए हैं।
लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मजबूत प्रतिबंधों और कोविड -19 के प्रभाव के कारण हाल के वर्षों में इसकी आर्थिक स्थिति में सुधार के प्रयासों को थोड़ा मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
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Source : IANS