भारत विरोधी पाकिस्तानी सेना के डर से अखबार ने लेख को किया सेंसर, पेज खाली छोड़ा
पाकिस्तानी सेना के अत्याचार और भारत के खिलाफ उसकी साजिश को एक्सपोज करने वाले एक लेख को पाकिस्तानी अखबार ने सेंसर कर दिया।
highlights
- पाकिस्तानी अखबार ने सेना के डर से नहीं छापा लेख, लेख में भारत के खिलाफ सेना के करतूत का था जिक्र
- 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने न्यूयॉर्क टाइम्स के कॉलम की जगह को खाली छोड़ा
नई दिल्ली:
पाकिस्तानी सेना के अत्याचार और भारत के खिलाफ उसकी साजिश को एक्सपोज करने वाले एक लेख को पाकिस्तानी अखबार ने सेंसर कर दिया। पाकिस्तान के लेखक मोहम्मद हनीफ ने अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के इंटरनैशनल एडिशन में लेख लिखा था।
जिसे पाकिस्तान के अखबार 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने नहीं छापा। 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' पाकिस्तान में न्यू यॉर्क टाइम्स के लेख को रेग्यूलर छापता है। लेकिन हनीफ के लेख को अखबार ने नहीं छापा और पेज को खाली छोड़ दिया। खाली जगह पर लिखा था लेख को हटाने में न्यूयॉर्क टाइम्स की कोई भूमिका नहीं है।
मोहम्मद हनीफ ने 'पाकिस्तान ट्राइऐंगल ऑफ हेट: तालिबान, सेना और भारत' के नाम से लेख लिखा है। जिसमें पाकिस्तान सेना की आलोचना की गई है। जिसके कारण लेख को नहीं छापा गया।
पाकिस्तान के कई लोगों ने अखबार में छोड़े गये जगह को सेंसरशिप बताया है। ट्वीट कर इसकी आलोचना की है।
Censorship alert in today's @nytimes that gets delivered to #Pakistan: article by @mohammedhanif pic.twitter.com/OO1083yXdW
— Sharmeen Obaid (@sharmeenochinoy) May 5, 2017
हनीफ ने लिखा, 'पाकिस्तान की सेना एहसानुल्लाह एहसान के रूप में एक ऐसे शख्स को साथी बना रही है जो भारत के खिलाफ उसके कभी न खत्म होने वाले युद्ध का नया सहयोगी है।'
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एहसानुल्लाह एहसान ने पिछले साल लाहौर में हुए हमले और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
हनीफ ने लेख में कहा, 'पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ झूठ फैला रही है कि वह एहसान और पाकिस्तान तालिबान को फंड दे रही है।' हनीफ लिखते हैं, 'बहुत सारे पाकिस्तानी सेना से मोहब्बत करते हैं और कई राजनेता इससे डरते हैं।'
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हनीफ के बेबाक लेख के कारण ही पाकिस्तानी अखबार ने नहीं छापा है। दरअसल पिछले दिनों 'डॉन' अखबार ने आतंकी संगठन पर कार्रवाई को लेकर सरकार और सेना के बीच तकरार की खबर छापी थी।
इस खबर ने पाकिस्तान में कई दिनों तक सुर्खियां बटोरी थी और सेना ने अखबार पर नजरें टेढ़ी की थी। संभवत: इसी डर से 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने सेना के खिलाफ लेख को नहीं छापा है।
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