Nepal New PM: चीन समर्थक केपी शर्मा ओली बने नेपाल के प्रधानमंत्री, 188 वोटों से जीता विश्वास मत

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को संसद में विश्वास मत जीत लिया है, उन्हें 188 वोट मिले हैं. बहुमत के लिए 138 वोट आवश्यक थे. ओली ने शेर बहादुर देउबा के साथ मिलकर सरकार बनाई है.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को संसद में विश्वास मत जीत लिया है, उन्हें 188 वोट मिले हैं. बहुमत के लिए 138 वोट आवश्यक थे. ओली ने शेर बहादुर देउबा के साथ मिलकर सरकार बनाई है.

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KP Sharma Oli

KP Sharma Oli( Photo Credit : Social Media)

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बने रहेंगे. उन्होंने आज संसद में 188 वोट हासिल कर विश्वास मत जीत लिया. 275 सदस्यीय ससंद में बहुमत के लिए 138 वोट आवश्यक हैं. विश्वास मत के दौरान, उन्हें बहुमत से 50 वोट अधिक मिले. एक सप्ताह पहले ही ओली ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. ओली के साथ-साथ कैबिनेट में 21 सदस्यों ने भी गोपनीयता की शपथ ग्रहण की थी. नेपाली प्रधानमंत्री ओली को चीन समर्थक नेता कहा जाता है. बता दें, ओली ने शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई है. 

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जानें नेपाली संसद में किसके पास कितनी सीट
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुए थे. आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर के सामने आई. देउबा की पार्टी को 89 सीटें मिलीं, ओली शर्मा की पार्टी को 78 और प्रचंड की पार्टी को 32. सबसे कम सीटें जीतकर भी प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देउबा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, गठबंधन सरकार अधिक वक्त तक टिक नहीं पाई. 15 माह बाद मार्च 2024 को फूट के कारण गठबंधन टूट गया. प्रचंड ने फिर ओली के भरोसे सरकार बनाई, जो अब गिर चुकी है.

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भारत विरोधी नीति से नहीं हो सकता भारत का विकास
चीन समर्थक ओली की पार्टी के वरिष्ठ नेता राजन भट्टाराई ने हाल ही में कहा था कि सीपीएन-यूमीएल इस बात को नहीं मानती कि भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल प्रगति कर पाएगा. या फिर भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल के लोगों के हितों को बढ़ावा मिल सकता है. ओली आज की मांग को देखते हुए नेपाल-भारत के रिश्तों को नई ऊंचाई देना चाहते हैं. हमें लगता है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने से अधिक विदेशी निवेश को नेपाल की ओर आकर्षित कर सकते हैं. हम अपनी धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों को अनुमति नहीं दे सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

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