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Nepal Political Crisis: नेपाल में आधी रात में संसद विघटन, PM ओली ने चुनाव का किया ऐलान

नेपाल की संसद एक बार फिर विघटन कर दी गई है. प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मध्यरात में आकस्मिक कैबिनेट बैठक कर संसद विघटन करते हुए नए चुनाव की तिथि की घोषणा कर दी है.

Updated on: 22 May 2021, 07:44 AM

highlights

  • मध्य रात में ओली ने कैबिनेट की आकस्मिक बैठक बुलाई और संसद विघटन करने की सिफारिश की
  • राजनीतिक दलों के अंदरूनी खींचातान के बाद राष्ट्रपति ने देर रात दोनों पक्ष के दावे को खारिज कर दिया
  • 12 नवंबर और 19 नवम्बर को दो चरणों में चुनाव करने का फैसला किया गया है

काठमांडू:

नेपाल की संसद एक बार फिर विघटन कर दी गई है. प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मध्यरात में आकस्मिक कैबिनेट बैठक कर संसद विघटन करते हुए नए चुनाव की तिथि की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति के द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के तहत कोई भी सरकार बनने की अवस्था ना रहने की बात कहने के साथ ही सरकार ने संसद विघटन कर दिया है. यह दूसरी बार है जब ओली ने संसद विघटन किया है. शुक्रवार हुए नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में ओली और विपक्षी गठबन्धन दोनों ने ही राष्ट्रपति के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था. लेकिन राजनीतिक दलों के अंदरूनी खींचातान के बाद राष्ट्रपति ने देर रात दोनों पक्ष के दावे को खारिज कर दिया.

सरकार बनाने के दावा खारिज होने के बाद मध्य रात में ओली ने कैबिनेट की आकस्मिक बैठक बुलाई और संसद विघटन करने की सिफारिश की और मध्यावधि चुनाव नवंबर में करने का फैसला किया है. 12 नवंबर और 19 नवम्बर को दो चरणों में चुनाव करने का फैसला किया गया है.

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वहीं बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर के. पी. शर्मा ओली की पुनर्नियुक्ति के एक सप्ताह के बाद देश की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने गुरुवार को संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार एक नई सरकार के गठन का आह्वान किया.

भंडारी के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के सदस्यों से संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए आधार पेश करने का आह्वान किया है.

ओली 10 मई को सदन में विश्वास मत हार गए थे. बाद में उसी शाम राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के राजनीतिक दलों से बहुमत के वोटों के आधार पर गठबंधन सरकार बनाने का आह्वान किया था.

जब विपक्षी दल बहुमत के वोट हासिल करने में विफल रहे और गठबंधन सरकार बनने का रास्ता नहीं बन पाया तो 13 मई की शाम को राष्ट्रपति ने ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया, जो सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं.

अब ओली को संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, एक महीने के भीतर फिर से सदन में विश्वास मत हासिल करना है. गुरुवार को एक कैबिनेट बैठक में विश्वास मत की मांग के बिना ही राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 76 (5) को लागू करने की सिफारिश की गई.