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नेपाल के नए विदेश मंत्री ने कोविड वैक्सीन के लिए भारत का समर्थन मांगा

महासेठ को शुक्रवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी.

Updated on: 10 Jun 2021, 08:36 AM

काठमांडू:

नेपाल के नए उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री रघुबीर महासेठ ने कोविड वैक्सीन के लिए भारत का समर्थन मांगा. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि विदेश मंत्री ने भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा से यह अनुरोध किया है, जिन्होंने उनसे शिष्टाचार भेंट की और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बधाई संदेश सौंपा. मंत्रालय ने कहा कि महासेठ और भारतीय राजदूत ने टीकों की आपूर्ति सहित आपसी हितों के विभिन्न मामलों पर चर्चा की. महासेठ को शुक्रवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी.

अधिकारियों ने कहा कि अन्य नियमित मुद्दों के अलावा, बैठक भारत से कोविड के खिलाफ टीके आयात करने पर केंद्रित रही. नेपाल को पहले भारत से कोविशील्ड की 20 लाख खुराकें मिल चुकी हैं, जिनमें से 10 लाख अनुदान के तहत दी गई थी और बाकी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से रियायती दर पर खरीदा गया था. नेपाल को अब और दस लाख खुराक प्राप्त करने का इंतजार है, जिसके लिए वह पहले ही सीरम संस्थान को भुगतान कर चुका है.

नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत द्वारा वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद, नेपाल को शेष खुराक नहीं मिल सकी हैं. अधिकारी ने कहा, टीके प्राप्त करने के लिए, हमने भारत सरकार को एक राजनयिक नोट भी लिखा है और वैक्सीन को जल्द से जल्द फिर से भेजना शुरू करने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को एक अलग पत्र लिखा गया है। इसकी अति आवश्यकता इसलिए भी है, क्योंकि पांच लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोविशील्ड की पहली खुराक तो दी जा चुकी है, मगर अब वे दूसरी खुराक की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन कोई टीका नहीं है.

अधिकारी ने कहा कि हम भारत सरकार पर मानवीय आधार पर दस लाख वैक्सीन को फिर से शुरू करने का दबाव डाल रहे हैं. इससे पहले, नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भी अपने भारतीय समकक्ष राम नाथ कोविंद को एक पत्र लिखा था, जिसमें नेपाल ने दस लाख वैक्सीन की मांग की थी, ताकि जो लोग अपनी दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें कवर किया जा सके. इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय वैक्सीन प्रोड्यूसर से टीकों की खरीद की सुविधा के लिए भारत सरकार से समर्थन मांगा है.