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नेपाल भारत के बीच बढ़ रही नजदीकियों से परेशान चीन के रक्षा मंत्री नेपाल दौरे पर

जनरल वेई फेंगी इस दौरे के पीछे कारण नेपाल के प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने और कम्युनिष्ट पार्टी के विभाजन को रोकने का एजेंडा बताया जा रहा है. 

Updated on: 29 Nov 2020, 12:29 PM

काठमांडू:

हाल ही में हुए भारतीय सेनाध्यक्ष और भारतीय विदेश सचिव के दौरे को काउंटर देने के लिए चीन ने‌ आज अपने रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगी को नेपाल भेजा है. नेपाल सरकार के तरफ से भारत के साथ अपने कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्तों को सुधारने के लगातार प्रयास से चीन को चिंता में डाल दिया है. नेपाल और भारत के बीच करीब एक साल तक चले सीमा विवाद और संवादहीनता को तोड़ते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने सबसे पहले रॉ चीफ सामन्त गोयल को बुला कर बातचीत की. 

उसके बाद भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल नरवाणे को नेपाल में उच्च महत्व के साथ तीन दिन का भ्रमण कराया. इसके तुरन्त बाद यानि 26-27 नवम्बर को भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का दो दिवसीय नेपाल यात्रा काफी सफल रहा. इसके बाद दिसम्बर के दूसरे हफ्ते  में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली का नई दिल्ली का दौरा होना है.

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नेपाल ‌और भारत के बीच हो रहे इन उच्च स्तरीय भ्रमण और दोनों देशों के बीच रिश्तों में आ रहे सुधार से चीन परेशान हो उठा है. नेपाल और भारत के बीच बढ़ती नजदीकियों और अपने कम होते प्रभाव को फिर से बहाल करने के लिए चीन के तरफ से अगले 10 दिन में दो बड़े और प्रभावशाली मंत्रियों का नेपाल दौरा होने जा रहा है. इसी क्रम में आज चीन के रक्षा मंत्री काठमांडू पहुंचे हैं. अपने 9 घंटे की यात्रा के दौरान वो नेपाल के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और नेपाली सेना के प्रधान‌ सेनापति से मुलाकात करने वाले हैं. 

ओली ने रक्षा मंत्री के तौर पर मिलने से किया इनकार
चीन ने यह इच्छा जताई थी कि प्रधानमंत्री ओली जिनके पास रक्षा मंत्रालय भी है, उनके साथ ही प्रतिनिधिमंडल स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता हो. लेकिन नेपाल के प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री के नाते चीन के रक्षा मंत्री से मिलने से इंकार कर दिया. ओली सिर्फ प्रधानमंत्री के रूप में ही चीनी रक्षा मंत्री से शिष्टाचार मुलाकात करेंगे. नेपाल के तरफ से द्विपक्षीय वार्ता के लिए उपप्रधानमंत्री तथा पूर्व रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल को जिम्मेदारी दी थी लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा कर नेपाल के प्रधान सेनापति जेनरल पूर्णचन्द थापा के साथ ही द्विपक्षीय वार्ता सीमित किया है. 

चीन के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है क्योंकि ‌भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल नरवाणे के नेपाल दौरे की घोषणा के समय ही भारत के साथ किसी तरह का विवाद ना हो इसके लिए तत्कालीन रक्षा मंत्री से उनका विभाग छीन लिया था. जनरल नरवाणे के नेपाल दौरा के समय प्रधानमंत्री ओली ने उनसे प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री दोनों की हैसियत से मुलाकात की थी. इसी कारण चीन यह चाहता था कि उनके रक्षा मंत्री के नेपाल भ्रमण के दौरान प्रधानमंत्री ओली उनसे और उनके प्रतिनिधि मंडल से रक्षा मंत्री के तौर पर द्विपक्षीय वार्ता करे। लेकिन ओली ने इससे इंकार कर दिया. 

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चीन के रक्षा मंत्री का हिडेन एजेंडा
काठमांडू और दिल्ली के बीच लगातार हो रहे संवाद और द्विपक्षीय बातचीत के बीच चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगी को नेपाल भेजकर बीजिंग यहां अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करने में लगा है. भारतीय विदेश सचिव के नेपाल भ्रमण और नेपाल के विदेश मंत्री का नई दिल्ली दौरे के बीच में चीन के तरफ से होने जा रहे इस महत्वपूर्ण दौरे यह साबित करता है कि नेपाल और भारत के बीच रिश्तों में हो रहे सुधार से चीन किस कदर चिन्तित है. 

नेपाल में भारत विरोधी माहौल बनाने और दोनों देशों के बीच सभी प्रकार के रिश्तों में दरार लाने में सफल चीन को यह लगने लगा है कि नेपाल सरकार, सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी और नेपाल के बांकी राजनीतिक दल पर उसकी पकड़ ढीली पड़ गई है. वैसे तो चीन के रक्षा मंत्री के नेपाल दौरे का कोई खास औपचारिक एजेंडा नहीं है लेकिन उनका नेपाल के सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेताओं से मुलाकात कई सवाल खड़े कर रहा है. 

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नेपाली सेना के उच्च पदस्थ अधिकारी बताते हैं कि चीन के रक्षा मंत्री का अचानक इस तरह आना समझ से परे है. चीन के रक्षा मंत्री के नेपाल दौरे को लेकर नेपाली सेना को 2.5 बिलियन यूआन की सैन्य सहायता की जो घोषणा ‌एक वर्ष पहले हुई थी उसके तहत कुछ सैन्य सहायता उपलब्ध कराने के अलावा और कोई भी समझौता नहीं होना है. नेपाल के राजनीतिक विश्लेषक यह बता रहे हैं कि चीन के रक्षा मंत्री का नेपाल दौरा सिर्फ यहां पर भारत के उच्च स्तरीय दौरे का काउंटर करना और सत्तारूढ़ दल में संभावित विभाजन को रोकना है. 

काठमांडू की मीडिया में आई रिपोर्ट की मानें तो चीन के रक्षा मंत्री के भ्रमण का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक मुलाकात ही है. काठमांडू स्थित चीन का दूतावास इस समय देश के सभी शीर्ष नेताओं से अपने मंत्री की मुलाकात करवाने जा रहा है. यह भ्रमण ऐसे समय हो रहा है जब नेपाल के सत्ताधारी दल विभाजन के कगार पर पहुंच गया है. 

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पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचण्ड ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर गंभीर आरोप लगाते हुए 7 पन्नों का पत्र लिखा था. जिसके जबाब में प्रधानमंत्री ओली ने भी प्रचण्ड पर आरोप लगाते हुए 10 पन्नों का पत्र लिखकर यह बता दिया है कि अब एक साथ एक ही पार्टी में रहने के सारे रास्ते बन्द हो गए हैं. ओली ने पार्टी की बैठक में एकता भंग कर पुरानी पार्टी को फिर से खड़ा करने का लिखित प्रस्ताव रखा है. चीन किसी भी हालत में नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी में विभाजन नहीं चाहता है, इसके लिए लगातार वो प्रयास भी कर रहा है. माना जा रहा है कि चीन के रक्षा मंत्री का नेपाल भ्रमण इनके विभाजन को रोकने के लिए ही किया जा रहा है.