नदी किनारे पड़ा मिला रोहिंग्या समुदाय के 18 महीने के बच्चे का शव, सीरियाई शरणार्थी बच्चा 'अलयान कुर्दी' की मौत की यादें हुई ताज़ा

2015 में सोशल मीडिया पर आई थीं 3 साल के सीरियाई बच्चे 'अलयान कुर्दी' की तस्वीर, देश छोड़ भागते हुए बीच पर मिली थी लाश

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Shivani Bansal
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नदी किनारे पड़ा मिला रोहिंग्या समुदाय के 18 महीने के बच्चे का शव, सीरियाई शरणार्थी बच्चा 'अलयान कुर्दी' की मौत की यादें हुई ताज़ा

फाइल फोटो

सिंतबर 2015 में सोशल मीडिया पर फैली तुर्की के बीच पर मिली मासूम बच्चे अलयान कुर्दी की लाश सबके दिलोदिमाग से अभी हटी भी नहीं थी कि एक और ऐसा ही मामला सुर्खियों में आया है। मोहम्‍मद शोहयात नाम के 16 महीने एक मासूम बच्चे की लाश ठीक वैसे ही कीचड़ में लिपटी हुई मिली।

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म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय का यह बच्चा दरअसल देश छोड़कर जाते हुए उस वक्त हादसे का शिकार हुआ जब उसके परिवार की नाव म्‍यांमार सीमा पार करते समय पलट गई। इसके बाद में शोहयात की लाश कीचड़ में लिपटी हुई मिली। इस बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गई। 

इसी के साथ साल 2015 की वो मार्मिक तस्वीर भी लोगों के ज़हन में ताज़ा हो गई जब अपना देश सीरिया छोड़ भागते हुए तुर्की के बीच पर एक मासूम बच्चे अलयान कुर्दी की लाश मिली थी और इस घटना ने देश भर के लोगों को झकझोर कर रख दिया था।

अलयान कुर्दी का परिवार देश में चल रहे गृहयुद्ध के कारण देश छोड़कर जा रहा था लेकिन उनका सफर पूरा नहीं हो सका। अब ऐसे ही हालात म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय के लोगों के साथ भी चल रहें हैं। रोहिंग्‍या समुदाय के लोगों का कहना है कि म्‍यांमार की सेना उन्हें सता रही है। और उनके साथ बलात्‍कार, हत्‍या और लूट जैसे वाकये हो रहे हैं। 

शोहयात अपनी मां और भाई के साथ नाफ नदी पार कर बांग्‍लादेश जाने की कोशिश में था, जब उनकी नाव डूब गई। हादसे में परिवार के सभी सदस्य मारे गए और बाद में शोहयात की लाश कीचड़ में मिली। रोहिंग्‍या समुदाय के हज़ारों लोग म्‍यांमार देश छोड़ बांग्लादेश जाकर बस चुके हैं। म्यांमार रोहिंग्या समुदाय के लोगों को देश का नागरिक नहीं मानता और उन्हें बंगाली या फिर अवैध रुप से रह रहे अप्रवासी मानता है। जबकि वो देश के रखीन क्षेत्र में सदियों से रहते आ रहे हैं।

2012 में भड़की हिंसा के बाद करीब 1 लाख 20 हजार से ज्‍यादा लोग रखीन प्रांत में अभी भी विस्‍थापन कैंपों में फंसे हुए हैं। जहां नागरिकता के मुद्दे के साथ ही उन्हें स्वास्थ्य, सेवाएं और शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रुरतों तक से दोचार होना पड़ रहा है।

Source : News Nation Bureau

Myanmar Rohingya refugee Civil War
      
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