चीन समर्थित म्यांमार सैन्य शासन का लोकतंत्र समर्थकों पर जुल्म
90 और 2000 के दशक में देश पर शासन करने वाली सैन्य सरकार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का समर्थन मिला है.
highlights
- चीन ने म्यांमार के सैन्य शासन को दिया समर्थन, कर रहा मदद
- म्यांमार की सैन्य जुंता सरकार लोकतंत्र समर्थकों पर ढा रही जुल्म
- आंग सान सू ची के समर्थकों पर सेंसरशिप के नए नियम लागू
यंगून:
म्यांमार (Myanmar) के सैन्य शासन ने, जिसने हाल ही में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर उसे उखाड़ फेंका था, वह अब देश में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर शिकंजा कसने में लगा है. शनिवार को म्यांमार के नागरिक होने का दावा करने वाले सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने मंडलीय में यादनारपोन डॉक पर प्रदर्शनकारियों (Protest) के खिलाफ सैन्य दमन की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए. इसमें बताया गया कि पुलिस अभी भी मांडले में भीड़ में फायरिंग कर रही है. स्थिति वास्तव में तनावपूर्ण है और संवाददाताओं भी गोलीबारी के बीच फंसे हैं.
1 फरवरी को हुआ था तख्तापलट
इस महीने की शुरूआत में म्यांमार की सेना ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू और अन्य को हिरासत में ले लिया था और एक साल का आपातकाल लगा दिया था. 90 और 2000 के दशक में देश पर शासन करने वाली सैन्य सरकार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का समर्थन मिला है. लगभग दो दशकों तक सैन्य शासन के खिलाफ लंबे संघर्ष के बाद, सू ची ने पिछले पांच वर्षों में म्यांमार में आंशिक लोकतंत्र को बहाल करने को लेकर जरूर कदम उठाए.
चीन के लिए म्यांमार का सामरिक महत्व
मध्य पूर्व से चीन के तेल आयात का मुख्य मार्ग हिंद महासागर होने के कारण सीसीपी के लिए, म्यांमार सामरिक महत्व वाला देश है. रॉयटर्स फोटोग्राफर सो जेया तुन ने शनिवार को एक घायल महिला का वीडियो पोस्ट किया, जो प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद देखी गई थी. प्रदर्शनकारियों ने घायल पीड़ितों की तस्वीरें तेज तर्रार तरीके से पोस्ट कीं. उन्होंने पुलिस के खिलाफ बर्बरता का आरोप भी लगाया. नागरिकों ने ट्वीट कर कहा कि पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया है.
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सोशल मीडिया पर क्रूरता के किस्से
सोशल मीडिया पर म्यांमार से सैन्य और पुलिस की क्रूरता के बारे में लगातार जानकारी प्राप्त हो रही है, जिससे अब यहां का शासन एक सख्त साइबर बिल लेकर आने की तैयारी कर रहा है, जिससे ऑनलाइन मुक्त भाषण नहीं दिया जा सके. सूत्रों के अनुसार सीसीपी विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए तकनीक के साथ म्यांमार के सैन्य शासन की मदद कर रहा है. सीसीपी के पास असंतुष्टों का पता लगाने, पहचानने और उन्हें दंडित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में विशेषज्ञता है.
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नए सेंसरशिप नियम में सजा और आर्थिक दंड
नए सेंसरशिप नियमों के अनुसार, म्यांमार में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को ऐसे मामलों में अधिकारियों को महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने की आवश्यकता होती है, जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालते हैं. उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की जेल हो सकती है और उसे 7500 डॉलर या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है.
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