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सेना के खिलाफ भाषण देने पर म्यांमार सरकार ने यूएन राजदूत को हटाया

एक भावनात्मक भाषण में, क्यो मो तुन ने कहा कि किसी भी देश को भी सैन्य शासन के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए, जब तक कि वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को वापस सत्ता सौंप न दे.

Updated on: 28 Feb 2021, 03:06 PM

नेपीता:

म्यांमार के सैन्य शासकों ने कहा है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में देश के राजदूत को निकाल दिया है. एक दिन पहले ही राजदूत ने सेना को सत्ता से हटाने के लिए मदद मांगी थी. एक भावनात्मक भाषण में, क्यो मो तुन ने कहा कि किसी भी देश को भी सैन्य शासन के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए, जब तक कि वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को वापस सत्ता सौंप न दे. इधर म्यामांर में सुरक्षा बलों ने शनिवार को तख्तापलट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी. स्थानीय मीडिया का कहना है कि दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मोनव्या शहर में एक महिला को गोली मार दी गई है. उसकी हालत के बारे में पता नहीं चल पाया है.

1 फरवरी को सेना के सत्ता में आने के बाद आंग सान सू ची सहित शीर्ष नेताओं को सत्ता से हटा दिया गया था जिसके बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए, क्यॉ मो तुन ने 'लोकतंत्र को बहाल करने' में मदद करने के लिए सैन्य सरकार के खिलाफ 'कार्रवाई करने के लिए आवश्यक किसी भी साधन' का उपयोग करने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि वो सू ची की अपदस्थ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सैन्य तख्तापलट को तुरंत समाप्त करने, निर्दोष लोगों पर अत्याचार रोकने, लोगों को राज्य की सत्ता वापस करने और लोकतंत्र को बहाल करने के लिए कार्रवाई की जरूरत है.' उनके भाषण के बाद तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा. अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने भाषण को 'साहसी' कहा. म्यांमार के राज्य टेलीविजन ने शनिवार को यह कहते हुए उन्हें हटाने की घोषणा की कि उन्होंने 'देश के साथ विश्वासघात किया है और एक अनौपचारिक संगठन के लिए बात की है जो देश का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. उन्होंने एक राजदूत की शक्ति और जिम्मेदारियों का दुरुपयोग किया है.'

म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर जबरन सैन्य शासन लागू करने की पूरी दुनिया में तीखी आलोचना हो रही है. संयुक्त राष्ट्र(यूएन) में इस अत्याचार की गूंज उस समय फिर सुनाई पड़ी, जब म्यामांर के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत ने ही अपने यहां हुए सैन्य तख्ता पलट का जबर्दस्त विरोध कर दिया. उन्होंने विश्व समुदाय से सैन्य शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को तत्काल बहाल करने की मांग की.