गिलगिट-बाल्टिस्तान, PoK में फिर आजादी की मांग, स्थानीय नेता बोले- गुलामों की तरह होता है बर्ताव

गिलगिट-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आजादी की मांग जोर पकड़ने लगी है। पीओके में राजनीतिक पार्टियां समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता पाकिस्तान की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं।

गिलगिट-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आजादी की मांग जोर पकड़ने लगी है। पीओके में राजनीतिक पार्टियां समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता पाकिस्तान की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं।

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vineet kumar1
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गिलगिट-बाल्टिस्तान, PoK में फिर आजादी की मांग, स्थानीय नेता बोले- गुलामों की तरह होता है बर्ताव

पीओके के राजनीतिज्ञ मिसफर खान (सौजन्य से- ANI)

गिलगिट-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आजादी की मांग जोर पकड़ने लगी है। पीओके में राजनीतिक पार्टियां समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता पाकिस्तान की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं।

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पीओके के राजनीतिज्ञ मिसफर खान ने कहा कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों को पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान को लेकर नाटक खत्म करना होगा, क्योंकि ये क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा लूट और शोषण को रोकने की जरूरत है।

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राजनीतिक कार्यकर्ता ताइफघुर अकबर ने कहा कि,' पीओके के लोगों को देशद्रोही कहा जाता है, उन्हें नेशनल एक्शन प्लान के नाम पर जेल में डाल दिया जाता है।'

ताइफघुर अकबर ने कहा कि पीओके में लोगों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव किया जाता है, न यहां कोई सड़क है, न कोई कारखाना है। लोगों को यहां बात भी नहीं करने दिया जाता है। किताबों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

बता दें कि गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकार के लिए अपनी आवाज उठाने वाले हसनैन रामल को पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कानून के अनुच्छेद 4 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

सूत्रों के अनुसार, हसनैन रामल को गिलगिट बाल्‍टिस्‍तान के लोगों से संबंधित मामलों को लेकर सोशल मीडिया पर अधिक पोस्‍ट करने के कारण स्‍थानीय कानून प्रर्वतन आधिकारियों ने हिरासत में लिया था।

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Source : News Nation Bureau

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