रूस: मास्को में रेस्त्रां के बाहर क्यों लगी लंबी कतार? बर्गर को लेकर भावुक हुए ग्राहक

रूस में अभी भी कुछ मेकडोनल्ड रेस्त्रां खुले हुए हैं. दुनिया की सबसे बड़ी बर्गर फ्रेंचाइजी रूस से अपना कारोबार समेट रही है

रूस में अभी भी कुछ मेकडोनल्ड रेस्त्रां खुले हुए हैं. दुनिया की सबसे बड़ी बर्गर फ्रेंचाइजी रूस से अपना कारोबार समेट रही है

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Mohit Saxena
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mcdonald ( Photo Credit : social media)

रूस की राजधानी मास्को के रेलवे स्टेशन के पास लंबी-लंबी कतारें दिखाई दे रही हैं. इसकी वजह मेट्रो में जाने वाले यात्री की नहीं बल्कि  लोग इस कतार में यह सोचकर खड़े हुए थे ​​कि शायद यह उनका आखरी बिग मैक (बर्गर) हो सकता है. दरअसल रूस में अभी भी कुछ मेकडोनल्ड रेस्त्रां खुले हुए हैं. दुनिया की सबसे बड़ी बर्गर फ्रेंचाइजी रूस से अपना कारोबार समेट रही है. बीते 30 वर्ष से ज्यादा वक्त यहां पर गुजारने के  बाद वह अपना कारोबार समेट रही है. यह फैसला रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण हुआ.

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मैक्डोनल्ड का जाना रूस में अमेरिकी कंपनी के इतिहास का आखरी पन्ना होगा. उसकी शुरूआत रूस में 1990 में अमेरिकी पूंजीवाद के प्रतीक के तौर पर हुई थी. कंपनी ने मार्च में ही अपने रेस्त्रां को अस्थायी तौर पर   बंद करने का निर्णय लिया था. इसमें मॉस्को के केंद्र में स्थित पुश्किन स्कायर का जाना माना रेस्त्रां भी शामिल था. इसने खुलते ही रिकॉर्डतोड़  दिए थे. 31 जनवरी, 1990 को जब यह खुला तो यहां पर लंबी कतार देखने को मिली. 3 रूबल में मिलने वाले बिग मैक को लेने के लिए करीब 30 हजार लोग कतार में खड़े हो गए थे.

ब्रांडिंग और मेन्यू के उपयोग की इजाजत नहीं

मैक्डोनल्ड की प्लानिंग है कि वह अपने 850 रेस्त्रां का 84 फीसद स्थानीय खरीददारों को बेचेगा. फ्रैचाइंजी के जरिये संचालित बाकी रेस्त्रां के भविष्य  को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है. नए मालिकों को मैक्डोनल्ड का नाम, लोगो, ब्रांडिंग और मेन्यू के उपयोग की इजाजत नहीं होगी. इस कारण   रूसियों को चिंता है कि इससे गुणवत्ता पर असर पड़ेगा.

Source : News Nation Bureau

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