अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी में छिपे हैं कई गहरे राज, अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की जिस तरह से वापसी हुई है, उसे लेकर अभी भी सवाल उठ रहे हैं. वापसी के दौरान अमरीकी सरकार के कई अधिकारियों की भूमिकाओं को लेकर आशंका जाहिर की जा रही है.
highlights
- अमरीका में सशस्त्र सेवा समिति के सत्र के दौरान हुई चर्चा में इस मुद्दे पर मंथन हुआ।
- डिफेंस सेक्रेटरी का कहना है कि अफगान सैनिकों ने तालिबान के साथ सांठगांठ की
- अधिकारियों का कहना है कि करीब 3 हजार अफगान सैनिक युद्ध लड़ने के मूड में नहीं थे।
वाशिंगटन:
अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की जिस तरह से वापसी हुई है, उसे लेकर अभी भी सवाल उठ रहे हैं। वापसी के दौरान अमरीकी सरकार के कई अधिकारियों की भूमिकाओं को लेकर आशंका जाहिर की जा रही है. रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ़ के अध्यक्ष जनरल मार्क ए मिले और जनरल केनेथ मैकेंज़ी द्वारा वापसी की भूमिकाओं का निरीक्षण किया जा रहा है. ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं, जिससे पता चलता है कि अफगानिस्तान में मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ चुकी हैं. सशस्त्र सेवा समिति के सत्र के दौरान हुई चर्चा में यह सामने आया कि अमरीकी अधिकारी अफगान युद्ध की वास्तविकताओं और इसके वर्तमान खतरों से अनभिज्ञ थे। सीनेटर जिम इनहोफे ने कहा कि अमरीका लगातार दबाव की स्थिति में काम कर रहा था. उस दौरान तालिबान क्षेत्र में हावी हो रहा था. उन्होंने कहा कि " इस समय हम अफगान हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए पाकिस्तान सरकार की दया पर हैं".
ये भी पढ़ें: तालिबान राज में एयर कॉरिडोर बंद होने से खतरे में कालीन उद्योग, जानिए क्या होगा नुकसान
उन्होंने कहा कि इससे भी खराब स्थिति यह है कि अफगानिस्तान में अमरीका वास्तव में प्रमुख लक्ष्यों पर हमला नहीं कर सकता है. यहां पर अभी भी अमरीकी मौजूद हैं. उनका कहना है कि आत्मघाती हमलावर जिसने काबुल को निशाना बनाया था, वह इस बात को जानता था कि जितने अधिक अमरीकी और अफगान यहां पर रह जाएंगे, उतना ही तालिबान को सौदेबाजी में लाभ मिल सकेगा. 14 सितंबर 2021 को केंद्रीय खुफिया एजेंसी का जो बयान सामने आया उसमें कहा गया ''हमे पहले से ही अफगानिस्तान में अल कायदा के संभावित खतरों के संकेत मिल रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो यह सिर्फ बुरा नहीं, विनाशकारी है.
अफगान सेना ने साथ नहीं दिया
डिफेंस सेक्रेटरी ऑस्टिन का कहना है कि इस दौरान अफगान सैनिकों ने तालिबान के साथ सांठगांठ की. वे तालिबान से युद्ध लड़ने के इच्छुक नहीं थे. इस कारण अमरीकी सेना के सामने दुविधा की स्थिति थी. करीब 3 हजार अफगान सैनिक युद्ध लड़ने के मूड में नहीं थे.
दोहा समझौते ने अमरीकी सेना को कमजोर किया
एक अन्य सेनेटर ने कहा कि दोहा में तालिबान और अमरीका के बीच चली शांति वार्ता ने भी अमरीकी सेना को कमजोर किया. इसके साथ अफगान सेना के मनोबल को भी कम किया. अफगान सेना के लिए इस वार्ता ने भ्रम की स्थिति उत्पन्न की है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी