मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने मंगलवार को कहा कि वह बीते महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कश्मीर मुद्दे पर ती गई अपनी टिप्पणी पर दृढ़ता से खड़े हैं. उन्होंने कहा कि 'हम बेखौफ होकर अपनी बात कहते हैं और उससे पीछे नहीं हटते.' मलेशिया के 'द स्टार' अखबार ने प्रधानमंत्री के संसद परिसर में एक संवाददाता सम्मेलन के हवाले से कहा, "हम मानते हैं कि कश्मीर के लोगों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से लाभ हुआ था और हम कुल मिलाकर यही कह रहे हैं कि सिर्फ भारत व पाकिस्तान को नहीं, बल्कि अमेरिका व दूसरे देशों को भी इसे स्वीकारना चाहिए."
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उन्होंने कहा, "अन्यथा, संयुक्त राष्ट्र के होने का क्या फायदा है." यूएनजीए में 27 सितंबर को अपने संबोधन में महाथिर ने कहा था, "जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद इस पर चढ़ाई की गई और कब्जा कर लिया गया. इस कार्रवाई के कारण हो सकते हैं, लेकिन यह गलत है. भारत को इस समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र को नजरअंदाज करना संयुक्त राष्ट्र और कानून के नियम के अनादर के दूसरे रूपों को बढ़ावा देना है."
अपनी टिप्पणी पर मलेशिया और भारत के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों को स्वीकार करते हुए महाथिर ने मंगलवार को कहा कि मुद्दों पर बोलना जरूरी होता है, भले ही इसे कुछ लोग नापसंद करें. उन्होंने कहा, "कभी-कभी हमें तनावपूर्ण संबंध रखने पड़ते हैं, लेकिन हम लोगों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना चाहते हैं. मलेशिया एक व्यापारिक राष्ट्र है, हमें बाजार की जरूरत है और इस वजह से हम लोगों के साथ अच्छे से पेश आते हैं."
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उन्होंने कहा, "लेकिन, हमें लोगों के लिए बोलना पड़ता है। इसलिए कभी-कभी हम जो कहते हैं, उसे कुछ लोग पसंद करते हैं और कुछ लोग नहीं." महाथिर की यूएनजीए में टिप्पणी के बाद भारतीय व्यापारियों ने मलेशिया से पॉम आयल की खरीदारी को रोकने का फैसला किया है. भारत सर्वाधिक पॉम आयल अभी तक मलेशिया से खरीदता रहा है. भारतीय व्यापारियों के फैसले से मलेशिया के पॉम आयल उद्योग को तगड़ा झटका लगा है.