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मलाला ने अफगानिस्तान में महिला सुरक्षा पर लगाए सवालिया निशान, अफगान प्रतिनिधि ने तालिबान को सरकार मानने से इनकार किया

नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने पहली बार शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में महिला सुरक्षा को लेकर तालिबान का बयान देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसे महिलाओं की शिक्षा समेत अन्य अधिकारों की गारंटी देनी चाहिए.

Updated on: 10 Sep 2021, 07:43 PM

highlights

  • मलाला ने कहा, महिलाओं की शिक्षा को लेकर गारंटी दे तालिबान
  • अफगानिस्तान की स्थिति पर यूएन सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित किया
  • शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान के लिए लड़कियों को शिक्षा जरूरी 

नई दिल्ली:

यूएन में अफगानिस्तान के रिप्रेजेंटेटिव गुलाम एम इशकजाई ने महिलाओं और पत्रकारों पर क्रूरता का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि हम तालिबान के मौजूदा सरकार को नहीं मानते हैं. वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने पहली बार शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में महिला सुरक्षा को लेकर तालिबान का बयान देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसे महिलाओं की शिक्षा समेत अन्य अधिकारों की गारंटी देनी चाहिए. मलाला ने अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए युद्धग्रस्त देश में महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा के मुद्दे पर प्रकाश डाला. लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के लिए पाकिस्तान में चरमपंथियों द्वारा हमला किए गए मलाला यूसुफजई ने सुरक्षा परिषद को महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की याद दिलाई. मलाला यूसुफजई ने कहा, हमें अफगान लड़कियों के लिए शिक्षा का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि यह एक मानव अधिकार है और क्योंकि यह एक शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है.

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उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार केवल व्यक्तिगत नहीं है और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून महिलाओं को शिक्षा के अधिकार की गारंटी देते हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का आह्वान किया और कहा कि उसे मानव की गरिमा की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखना चाहिए.  उन्होंने जोर दिया कि शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान के लिए लड़कियों को शिक्षा की आवश्यकता है.

अफगानिस्तान में स्कूलों की स्थिति पर मलाला ने कहा कि देश में माध्यमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं तथा शिक्षकों और छात्रों को घर पर इंतजार करने के लिए कहा गया है. महिला शिक्षकों के पास अब नौकरी नहीं है क्योंकि उन्हें लड़कों को पढ़ाने की अनुमति नहीं है. उन्होंने एक मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित करनेके लिए संयुक्त राष्ट्र का आह्वान किया और कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के हनन पर नजर रखी जा सके, खासकर लड़कियों की शिक्षा के संबंध में. उन्होंने अफगानिस्तान के विकास और मानवीय सहायता मेंवृद्धि करने का आग्रह किया, ताकि स्कूल सुरक्षित रूप से खुल सकें और संचालित हो सकें. उन्होंने जोर दिया कि अफगानिस्तान के सभी क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र की उपस्थिति की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है. उन्होंने यूएनएससी से अफगानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं के साथ खड़े होने का आग्रह किया. 

इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि वह देश की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. मलाला ने ट्विटर पर लिखा था कि हम पूरे सदमे में हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. मैं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के पैरोकारों के बारे में बहुत चिंतित हूं. मलाला ने जोर देकर कहा था कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय शक्तियों को तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना चाहिए और युद्धग्रस्त देश में तत्काल मानवीय सहायता और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए.