मलाला यूसुफजई बनीं कनाडा की मानद नागरिक, PM जस्टिन ट्रूडो ने की तारीफ

मलाला जब 15 साल की थीं, तब उन्हें तालिबान के आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा को लेकर पैरवी करने के लिए सिर में गोली मार दी थी।

मलाला जब 15 साल की थीं, तब उन्हें तालिबान के आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा को लेकर पैरवी करने के लिए सिर में गोली मार दी थी।

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Sonam Kanojia
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मलाला यूसुफजई बनीं कनाडा की मानद नागरिक, PM जस्टिन ट्रूडो ने की तारीफ

मलाला यूसुफजई बनीं कनाडा की मानद नागरिक (फोटो: फेसबुक)

नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई कनाडा की मानद नागरिक बन गई हैं। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह छठी शख्सियत हैं। यही नहीं, वह महज 19 साल की उम्र में यह सम्मान हासिल करने वाली शख्सियत हैं।

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यह सम्मान पाने के बाद मलाला यूसुफजई ने कहा कि कनाडा की मानद नागरिकता मिलने पर वह अच्छा महसूस कर रही हैं। ओटावा में हुए आधिकारिक समारोह में मलाला ने इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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पीएम ने की मलाला की तारीफ

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मलाला के काम की तारीफ की। उन्होंने वहां के संसद में मौजूद राजनेताओं को बताया कि 19 साल की पाकिस्तानी कार्यकर्ता संसद को संबोधित करने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं।

पीएम जस्टिन ट्रूडो ने राजनेताओं से कहा कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल लड़कियों की तालीम के लिए फंड जुटाने में करें, जिनमें शरणार्थी भी शामिल हैं। जस्टिन ने मलाला को 'कनाडा की सबसे बहादुर नागरिक' बताया।

पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कुछ तस्वीरें भी शेयर की। उन्होंने कैप्शन में लिखा, 'प्रेरणादायक शब्द के लिए मलाला का धन्यवाद.. सदन में आपको होस्ट करना हमारे लिए सम्मान की बात है।'

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इन पांच लोगों को मिल चुका है सम्मान

मलाला से पहले पांच लोगों को कनाडा की मानद नागरिकता मिल चुकी है। इनमें नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, धार्मिक नेता आगा खान, स्वीडन के कूटनीतिज्ञ राउल वेलेनबर्ग और म्यांमार की नेता आंग सान सू ची शामिल हैं।

मलाला पर बन चुकी है फिल्म

मलाला यूसुफजई पर 'ही नेम्ड मी मलाला' नाम से डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है। हॉलीवुड के ऑस्कर विजेता निर्देशक डेविस गूगनहाइम ने यह डॉक्यूमेंट्री साल 2015 में बनाई थी। इस फिल्म में मलाला पर हुए हमले और उसके बाद हालातों से लड़ती हुई मलाला की कहानी दिखाई गई है।

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मलाला को सिर में मारी थी गोली

मलाला को तालिबान के आतंकवादियों ने उस वक्त सिर में गोली मार दी थी, जब वह स्कूल से लौट रही थीं। उन्हें महिलाओं की शिक्षा की वकालत करने की वजह से निशानाल बनाया गया था। उस वक्त मलाला महज 15 साल की थीं। उनका पाकिस्तान और बाद में ब्रिटेन में इलाज हुआ। हमले का असर ये हुआ कि मलाला बाएं कान से सुन नहीं सकती और उनका चेहरा भी सामान्य नहीं है।

मलाला के अभियान को पूरी दुनिया में सराहा गया है। उन्हें साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। मलाला ने अपने अनुभवों पर एक किताब भी लिखी है, जिसका शीर्षक है 'आई एम मलाला'।

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Source : News Nation Bureau

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