PM मोदी की जीत पर पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' ने जताई चिंता, जाने क्या कहा
इसके चलते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत की बधाई तो दी है लेकिन वहां की मीडिया की मानसिकता अब भी बदलती दिखाई नहीं दे रही है.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की है. इसके चलते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत की बधाई तो दी है लेकिन वहां की मीडिया की मानसिकता अब भी बदलती दिखाई नहीं दे रही है. पाकिस्तान के नामी अखबार द डॉन ने अपने संपादकीय में इस जीत पर चिंता जताई है. इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सांप्रदायिक राजनीति की जीत लोकतंत्र के भविष्य को तय करेगी. इसके मुताबिक इन परिणामों ने चुनावी पंडिंतों की उस भविष्यवाणियों को दरकिनार कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था पीएम मोदी के वोट बैंक पर भारी पड़ेगी. लेकिन अब रिजल्ट सभी के सामने हैं और अति राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा लोकसभा चुनाव में मिली एकतरफा जीत के बाद एक बार फिर से पांच वर्षो के लिए भारत में सरकार बनाने जा रही है.
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अखबार ने लोकसभा चुनाव के इन परिणामों को आश्चर्यजनक बताया है. संपादकीय के मुताबिक इससे यह बात साफ हो गई है कि चुनाव में जीत पाने या मतदाताओं को लुभाने के लिए धार्मिक घृणा और सांप्रदायिक राजनीति को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस बात को भूला नहीं जा सकता है कि पीएम मोदी का पूरा चुनाव प्रचार मुस्लिमों और पाकिस्तान के खिलाफ किया गया था. इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के साथ तनाव को न सिर्फ बढ़ाया बल्कि चुनाव में इसका पूरा फायदा भी उठाया और भारतीय जनमानस की भावनाएं भड़काने के लिए उन्होंने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक तक के आदेश दिए. लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद अब सब कुछ खत्म हो चुका है.
संपादकीय में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि मोदी इस कार्यकाल में उन कट्टरवादी हिंदु संगठनों पर लगाम लगाएंगे जिनके निशाने पर भारत के अल्पसंख्यक या मुस्लिम रहते आए हैं. इसके अलावा पीएम मोदी इस कार्यकाल में सही मायने में क्षेत्र की शांति बनाए रखने के लिए काम करेंगे. यह केवल तब ही मुमकिन है जब पीएम मोदी पाकिस्तान से इस बारे में वार्ता को आगे आएंगे. पाकिस्तान ने पहले भी कई बार विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत से वार्ता की मेज पर आने की अपील की है, लेकिन वह हर बार इस अपील को ठुकराते रहे हैं. अखबार के मुताबिक चुनाव परिणाम सामने आने से एक दिन पहले ही एक फोटोग्राफर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी और भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एकसाथ फोटो कैप्चर की थी. यह फोटो किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ की बैठक से इतर खींची गई थी. मीडिया में आई खबरों में यहां तक कहा गया था कि सुषमा ने कुरैशी के साथ स्वीट्स शेयर किए पूर्व में हुई बातचीत को भी याद किया.
इस फोटो के सामने आने के बाद इस बात के कयास भी लग रहे हैं कि रमजान माह के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता हो सकती है. अखबार ने ये भी लिखा है कि हालांकि भारत के पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह कहना निराधार नहीं होगा कि वह क्षेत्र में शांति को लेकर सीरियस नहीं है. पुलवामा हमले से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने करतारपुर कॉरिडोर की ग्राउंडब्रेकिंग सेरेमनी में भारतीय दल को आमंत्रित किया था, लेकिन इसके बाद भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नहीं आई. इतना ही नहीं भारत ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन तक के बहिष्कार करने का एलान किया. इमरान खान ने पाकिस्तान में सरकार बनाने के बाद अपने कहे मुताबिक भारत से बातचीत की कई बार कोशिश की और पीएम मोदी क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए न सिर्फ प्रस्ताव भेजा बल्कि उनको इसका मौका भी दिया, जिसे उन्होंने हर बार ठुकरा दिया. इसके बाद भी पाकिस्तान ने इसकी कोशिशें जारी रखी और बुधवार को कुरैशी और सुषमा के बीच अनाधिकृत मुलाकात हुई. अखबार के संपादकीय में कहा गया है कि अभी यह कहना जल्दबाजी ही होगी कि इमरान खान ने पीएम मोदी दोनों देशों के बीच शांति वार्ता करने के लिए सही थे या नहीं. यह सभी कुछ भारत पर निर्भर करता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक क्षेत्र की शांति के लिए सबसे बड़ा बाधक भारत ही रहा है
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