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पाकिस्तान में लाहौर उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया कि वह प्रतिबंधित जमात-उद-दावा प्रमुख और मुंबई हमले (2008) के मुख्य आरोपी हाफिज सईद का 'उत्पीड़न' न करे और उसे 'सामाजिक कल्याणकारी कार्य' जारी रखने की अनुमति दे।
समाचार पत्र डॉन के अनुसार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक ने एक याचिका दायर की थी जिसके अनुसार पाकिस्तानी सरकार, भारत और अमेरिका के दबाव में आकर उसकी पार्टी की सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियों में दखलंदाजी कर रही है।
याचिका में कहा गया है कि किसी पार्टी या संगठन को समाज कल्याणकारी कार्य करने से वंचित करना संविधान के खिलाफ है।
अधिवक्ता ए.के. डोगर द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अमीनुद्दीन खान ने प्रशासन को 23 अप्रैल तक जवाब देने के लिए कहा है।
सईद ने मार्च में इन्ही न्यायाधीश के समक्ष डोगर के जरिए लगभग समान याचिका दायर की थी। न्यायाधीश खान ने तब प्रांतीय और केंद्र सरकार को 27 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
समान तरह की याचिका होने के कारण अदालत ने दोनों मामलों को मिला दिया।
गुरुवार को सईद के पक्ष की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश खान ने एक बार फिर प्रांतीय और केंद्रीय सरकार को अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
पाकिस्तान के प्रतिभूति व विनिमय आयोग ने एक जनवरी को जमात-उद-दावा सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित कई अन्य संगठनों पर देश में दान लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने आतंकवाद निरोधक कानून (एटीए), 1997 में संशोधन करते हुए संशोधित आतंकवाद निरोधक कानून, 2018 लागू किया। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कोई भी व्यक्ति पाकिस्तान में भी प्रतिबंधित रहेगा।
इसी सप्ताह, अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के राजनीतिक धड़े मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) के साथ-साथ एक अन्य संगठन तहरीक-ए-आजादी-ए-कश्मीर को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था।
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Source : IANS