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पाकिस्तान का आतंकी चेहरा फिर बेनकाब, हाफिज सईद पर अदालत का लचीला रवैया आया सामने

पाकिस्तान (Pakistan) का आतंकी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है.

Updated on: 07 Oct 2019, 05:16 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान (Pakistan) का आतंकी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है. लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) का मुंबई हमले का मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) पर लचीला रवैया सामने आया है. लाहौर हाईकोर्ट ने आतंकवादी संगठन जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद समेत कुछ अन्य आतंकवाद के आरोपियों पर दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है. पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीश आसिम खान और न्यायाधीश ए. जावेद घराल की पीठ ने यह मंजूरी दी.

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सईद व अन्य आरोपियों के वकील ने कहा कि एक ही तरह की चौबीस एफआईआर दर्ज की गई हैं. इनमें सईद व अन्य आरोपियों को आतंकवाद में शामिल बताया गया है जबकि वे आतंकवादी नहीं हैं. एफआईआर में सईद की जिन संपत्तियों का जिक्र है, वे दरअसल मदरसे या मस्जिद हैं. इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई.

अदालत ने संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद याचिका को सुनवाई के लिए मंजूरी दी और पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की सरकार तथा आतंकवाद रोधी विभाग से रिपोर्ट मांगते हुए मामले की सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की अगली तारीख दे दी. जमात उद दावा से संबंधित संस्था के महासचिव मलिक जफर इकबाल ने अदालत में यह याचिका दायर की है. मलिक का नाम खुद भी पुलिस की रिपोर्ट में है. उसने याचिका में कहा है कि सईद व 65 अन्य पर दर्ज मुकदमों का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं हो सकते.

याचिका में कहा गया है कि जिन संपत्तियों पर सवाल उठाया जा रहा है, उनमें संपत्ति मस्जिद की है. इसलिए मामले में दर्ज एफआईआर कानूनी दायरे से बाहर हैं. याचिका में कहा गया है कि 'साथ ही, इन तमाम संपत्तियों का इस्तेमाल कभी भी आतंकवादी कार्रवाई में नहीं किया गया. रिकार्ड में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जो बताता हो कि इनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया है. सईद पर प्रतिबंधित संगठन लश्करे तैयबा का नेता होने का आरोप बेबुनियाद है. उसका इस संगठन से कोई संबंध नहीं है.'

पाकिस्तान लगातार मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है. लाहौर हाईकोर्ट ने (Lahore High Court) ने हाफिज सईद की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके खिलाफ चल रहे एक मामले को गुजरांवाला आतंकवाद रोधी कोर्ट (Gujranwala anti-terrorism court) से लाहौर ट्रांसफर कर दिया था. बता दें कि इससे पहले हाफिज सईद की याचिका की सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच को भी बदल दिया गया था.

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बता दें कि इससे पहले आतंकवाद पर लगाम लगाने के पाकिस्तान (Kangal Pakistan) के 'झूठे' वादे की पोल एक बार उस समय और खुल गई थी जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने प्रतिबंध झेल रहे वैश्विक आतंकवादी औऱ मुंबई हमले के दोषी हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को उसके बैंक खातों से हर माह परिवार के भरण-पोषण के लिए 1.5 लाख रुपए निकालने की राहत मांगी थी. इससे एक बार फिर साबित हो गया था कि पाकिस्तान आतंकियों का न सिर्फ पनाहगार है, बल्कि वह आतंक पर लगाम लगाने के नाम पर वैश्विक बिरादरी (International Community) की आंखों में धूल झोंकने (Eye Wash) का ही काम कर रहा है.