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बेगैरत पाकिस्तान आईसीजे के फैसले के 4 दिन बाद फिर बदल रहा रुख, जानें क्या है ना'पाक' चाह

कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के बुधवार को आए फैसले को 'पाकिस्तान के लिए कम, लेकिन भारत के लिए बेहद खराब' बताया जा रहा.

Updated on: 20 Jul 2019, 02:04 PM

highlights

  • कुलभूषण जाधव पर आईसीजे के निर्णय की पाकिस्तान में हुई मनमानी व्याख्या.
  • लगभग एक सुर में सभी ने उसे भारत के खिलाफ करार दिया.
  • ऐसी प्रतिक्रिया देने वालों में नेता, मीडिया और कानूनविद तक शामिल.
  • आईसीजे के फैसले को 'पाकिस्तान के लिए कम, लेकिन भारत के लिए बेहद खराब' बताया.

नई दिल्ली.:

जासूसी और आतंकी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के आरोप में पाक सैन्य अदालत में फांसी की सजा पाए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के बुधवार को आए फैसले की व्याख्या पाकिस्तान में अपने-अपने हिसाब से की गई. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत वरिष्ठ वकीलों ने आईसीजे के फैसले को भारत के खिलाफ बताते हुए पाकिस्तान की जीत करार दिया. इस तरह की प्रतिक्रिया देने वालों में पाकिस्तान के प्रतिष्ठित मीडिया घरानों के वरिष्ठ पत्रकार तक शामिल रहे. जाहिर सी बात है पाकिस्तान की इस उलटबांसी पर भारत में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. खासकर जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने पहले अमेरिकी दौरे पर जा रहे हैं, तो इस फैसले को उनके खिलाफ माना जा रहा है. साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका को रिझाने के लिए पाकिस्तान सरकार इमरान खान की यात्रा से पहले ही कुलभूषण जाधव को भारतीय राजनयिकों से मुलाकात की इजाजत दे सकती है.

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'भारत की दलीलें आईसीजे ने नहीं मानी'
आईसीजे में कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान की तरफ से ब्रिटेन में रह रहे बैरिस्टर खैवर कुरैशी ने पैरवी की थी. पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव मामले में कानूनी मुकदमा लड़ने लिए 20 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए. इसके बावजूद आईसीजे ने पाकिस्तान पर विएना समझौते का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी रोकने और उसे राजनियक मदद देने का आदेश दिया था. हैग स्थित आईसीजे के फैसले के तुरंत बाद बैरिस्टर कुरैशी ने मीडिया से कहा था, 'कुलभूषण मामले में पाकिस्तान की तरफ से अधिकृत बयान पाक विदेश मंत्री ही देंगे'. हालांकि कुरैशी ने फैसले को भारत के खिलाफ बताते हुए यह भी कहा था कि कुलभूषण की तुरंत रिहाई की मांग आईसीजे ने नहीं मानी है. साथ ही पाकिस्तान को उसके कानून के अनुसार कुलभूषण जाधव मामले में फिर समीक्षा करने को कहा है. वास्तव में बैरिस्टर कुरैशी के बयान से ही कुलभूषण जाधव प्रकरण पर आने वाली पाकिस्तान की प्रतिक्रियाओं की झलक मिल रही थी.

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'पाकिस्तानी अवाम का गुनहगार है कुलभूषण जाधव'
हुआ भी ऐसा ही. गुरुवार को प्रधानमंत्री इमरान खान की प्रतिक्रिया आ गई. इमरान खान ने ट्वीट कर कहा, 'इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के फैसले की सराहना करता हूं कि उन्होंने कमांडर कुलभूषण जाधव को बरी करने, रिहा करने और लौटाने का फैसला नहीं दिया. वह पाकिस्तान की जनता के खिलाफ अपराधों का गुनहगार है. पाकिस्तान अपने कानून के मुताबिक आगे कार्यवाही करेगा.' इमरान खान की देखा-देखी पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी कहा, 'कुलभूषण जाधव पर आईसीजे का फैसला पाकिस्तान की जीत है. कमांडर जाधव पाकिस्तान में ही रहेगा औऱ उसके साथ पाकिस्तान के कानून के लिहाज से ही व्यवहार किया जाएगा.' पाकिस्तान में विज्ञान एवं तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने आईसीजे के फैसले को सराहते हुए 'पाक की कानूनी टीम और उसके प्रयासों को प्रशंसा का हकदार' करार दिया.

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'सैन्य अदालत में दोबारा सुनवाई आईसीजे को नामंजूर'
पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अधिवक्ता तैमूर मलिक ने कुलभूषण जाधव पर आईसीजे के फैसले पर कई ट्वीट कर पूरे मामले को पाकिस्तान पर ही छोड़ देने की बात लिखी. उन्होंने लिखा, 'आईसीजे ने भारत की तुरंत रिहाई और भारत वापसी की अपील ठुकरा दी है'. हालांकि पाकिस्तान के अखबार डॉन से बातचीत में तैमूर ने स्पष्ट किया कि आईसीजे ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस और कानूनी सहायता प्रदान करने की बात कही है. ऐसे में सैन्य अदालत में दोबारा मुकदमा चलाए जाना आईसीजे को मंजूर नहीं होगा. यहां पाकिस्तान को सावधानी बरतने की जरूरत है.

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'भारत वापसी और रिहाई नहीं'
आईसीजे में दक्षिण एशिया की अंतरराष्ट्रीय कानूनी सलाहकार रीमा उमर ने ट्वीट कर कहा, 'अदालत ने जाधव की फांसी की सजा मुल्तवी करने का आदेश दिया है. साथ ही अनुच्छेद 36(1) के उल्लंघन के आरोप में उसे काउंसलर एक्सेस औऱ कानूनी सहायता देने की कहा है. हालांकि अदालत ने भारत की कुलभूषण जाधव को आरोपों से बरी कर तुरंत रिहाई और भारत वापसी की मांग भी ठुकरा दी है.'

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'पाकिस्तान के लिए कम, लेकिन भारत के लिए बेहद खराब
वरिष्ठ पत्रकार मुबाशिर जैदी ने आईसीजे के निर्णय के कुछ पैरा के साथ ट्वीट किया, 'सीमा पार बैठे जो विशेषज्ञ कुलभूषण जाधव की सजा टालने पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उन्हें फैसले का यह अंश जरूर पढ़ना चाहिए. इसके बाद जो निष्कर्ष वे निकाल रहे हैं उसकी भाषा बदल जाएगी.' एक अन्य पत्रकार तलत हुसैन ने आईसीजे के निर्णय को 'दिल्ली की पराजय' करार देते हुए ट्वीट किया. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के एसोसिएट एडिटर फाहद हुसैन ने अपनी ट्वीट में आईसीजे के फैसले को 'पाकिस्तान के लिए कम, लेकिन भारत के लिए बेहद खराब' करार दिया.