जानिए कौन है तालिबान, बेहद भयावह रहा था अफगानिस्तान पर कट्टरपंथियों का शासन
तालिबान की स्थापना 1994 में एक छोटे से गुट ने की थी. तालिबान ने आज से पहले भी अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है. तालिबानी लड़ाकों के खूनी खेल से अफगान के नागरिक डर से सहमे हुए है.
नई दिल्ली:
तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान की सत्ता सिंहासन पर काबिज हो गया है. तालिबान ने अफगानिस्तान के लगभग इलाकों को अपने कब्जे में ले लिया है. तालिबान अपनी तुगलकी हुकूमत से पूरे अफगानिस्तान पर राज करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है. तालिबान के लड़ाके काबूल तक आ पहुंचे हैं. मीडिया रिपोर्टस की मानें तो अफगानिस्तान के कई प्रांतों में तालिबानी लड़कों का खूनी खेल जारी है. तालिबानी लड़ाकों के खूनी खेल से अफगान के नागरिक डर से सहमे हुए है. हालांकि तालिबान के तरफ से बदले की नियत वाले आरोप को सिरे से नकारा गया है. लेकिन अफगानिस्तान से आ रही तस्वीर ने तालिबान की झूठ को एकबार फिर से पर्दाफाश किया है.
दरअसल में तालिबान की स्थापना 1994 में एक छोटे से गुट ने की थी. इसके बाद तालिबान ने अपनी ताकत को दिन प्रतिदिन बढ़ाता रहा. तालिबान ने समय के साथ लड़ाकों की तादाद को बढ़ाने के अलावा हथियार को भी भारी मात्रा में इम्पोर्ट करता रहा. तालिबान ने आज से पहले भी अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है. आज से ठीक 25 वर्ष पहले साल 1996 में ताकत के साथ तालिबान ने पहली बार अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था. उस दौरान तालिबान ने पूरे देश में इस्लामी कानून शरिया को लागू कर तुगलकी हुकूमत का परिचय पूरी दुनिया में दिया था. इस कानून के अंतगर्त तालिबानी हुकूमत पाशविक तरीके से देश भर में लोगों को प्रत्याड़ित करने से बाज नहीं आते थे.
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तालिबान के राज में गैर मुस्लिम परिवारों पर होता रहा अत्याचार
अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की आबादी बड़ी तादाद में रहती है. सिख और हिंदू अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक रहे हैं. अफगानिस्तान के विकास में सिखों और हिंदुओं का बड़ा योगदान रहा है. इसके बाद भी तालिबानी हुकूमत के दौरान सिखों और हिंदुओं को प्रत्याड़ित किया जाता रहा है. इनके शासनकाल में सिखों और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया जाता रहा है. इसके अलावा तालिबान के द्वारा गैर मुस्लिम परिवारों के लिए तुगलकी हुकूमत जारी किया जाता रहा है. उस समय तालिबान ने देश भर में कई अजीब कानून लागू किए थे. जिसमें गैर मुस्लिम परिवार के पुरुष को अनिवार्य रुप से दाढ़ी रखना था. साथ ही गैर मुस्लिम परिवार की महिलाओं को घर से निकलने पर पाबंदी थी. स्कूल कालेजों में गैर मुस्लिम परिवार की प्रवेश पर पाबंदी थी. इतना ही नहीं तालिबान के शासन में अगर कोई महिला बगैर बुर्का पहने घर से बाहर नजर आती थी तो उसे सजा ए मौत दी जाती थी.
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