किम जोंग उन दक्षिण कोरिया पहुंचे, द्विपक्षीय बैठक शुरू
उत्तर कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया पहुंचकर राष्ट्रपति मून जे इन से मुलाकात की। राष्ट्राध्यक्षों ने दोनों देशों के बीच सीमा रेखा पर हाथ मिलाया।
नई दिल्ली:
कोरियाई युद्ध के बाद शुक्रवार को सैन्य सीमा रेखा पार कर दक्षिण कोरिया की धरती पर कदम रखने वाले किम जोंग उन उत्तर कोरिया के पहले नेता बन गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के बीच औपचारिक वार्ता सीमावर्ती गांव पनमुनजोम में शुरू हो गई है।
इससे पहले कोरियाई देशों के सीमावर्ती गांव पनमुनजोम में मून और किम जोंग ने गर्मजोशी से एक-दूसरे से हाथ मिलाए। दोनों नेताओं को एक सार्थक बातचीत और एक संभावित शांति संधि होने की उम्मीद है।
बीबीसी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर वार्ता होने की उम्मीद है लेकिन कई विश्लेषक किम जोंग उन के परमाणु कार्यक्रमों को छोड़ने के उनके संकेतों पर अभी भी संदेह जता रहे हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, किम जोंग उन का दक्षिण कोरिया पहुंचने पर स्वागत किया गया।
दोनों नेताओं के बीच कोरियाई देशों को विभाजित करने वाले सीमा पर बने पनमुनजोम गांव में पीस हाउस की दूसरी मंजिल पर बने कॉंफ्रेंस रूम में हो रही है।
इससे पहले सैन्य सीमा रेखा (एमडीएल) पर किम और मून मुस्कुराए और हाथ मिलाया। 1950-1953 का कोरियाई युद्ध समाप्त होने के बाद एमडीएल बनाई गई थी।
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सीमा पर हाथ मिलाने के बाद किम जोंग दक्षिण कोरियाई सीमा में चेल गए लेकिन उन्होंने मून जे को उत्तर कोरियाई सीमा की तरफ भी थोड़ी देर आने के लिए आमंत्रित किया, जिसके बाद मून और किम जोंग उत्तर कोरियाई सीमा में कुछ देर के लिए गए और फिर दक्षिण कोरिया सीमा में पीस हाउस की ओर चले गए।
गौरतलब है कि पिछले दो अंतर कोरियाई सम्मेलन प्योंगयांग में 2000 और 2007 में हुए थे।
किम ने सुबह मून से बात करते हुए कहा था, 'यह नया इतिहास लिखने और शांति एवं समृद्धि लाने का समय है।'
वार्ता शुरू करने से पहले किम जोंग ने गेस्बुक में लिखा, 'अब एक नया इतिहास शुरू होता है। इतिहास के इस शुरुआती बिंदु पर शांति के युग की शुरुआत।'
किम जोंग ने मून से यह भी कहा कि उन्हें इस वार्ता से अच्छे नतीजों की उम्मीद है। इसके जवाब में मून ने कहा कि वे लगातार वार्ता करते रहेंगे और एक बेहतर समझौते पर सहमति बनाएंगे, जो समग्र कोरियाई लोगों के लिए एक तोहफा होगा, जो शांति चाहते हैं।
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