जो बाइडेन से सत्ता हस्तांतरण के बाद कितनी शक्तिशाली हो गई थीं कमला हैरिस
यह सत्ता हस्तांतरण मात्र एक घंटे 25 मिनट का था. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इलाज के दौरान एनेस्थीसिया के प्रभाव के कारण संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने की स्थिति में नहीं थे.
highlights
- अमेरिका के राष्ट्रपति होने के नाते वह अमरीकी फौज की सुप्रीम कमांडर थीं
- अमेरिकी राष्ट्रपति के पास एटमी हमले का निर्णय होता है
- कमला कुछ सेकेंड के भीतर एटमी हमले का फैसला ले सकती थीं
वाशिंगटन :
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की कोलोनोस्कोपी के दौरान शुक्रवार को सत्ता हस्तांतरण हुआ था. इस दौरान सत्ता की बागडोर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के पास आ गई थी। एनेस्थीसिया के प्रभाव के कारण बाइडेन अमेरिका के संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने की स्थिति में नहीं थे. इस दौरान कमला हैरिस को यह जिम्मेदारी दी गई. अमरीका के 250 वर्ष के इतिहास में यह पहली बार है, जब देश की सत्ता किसी महिला के हाथ में थी. हालांकि, यह सत्ता हस्तांतरण मात्र एक घंटे 25 मिनट का था. इस दौरान हैरिस के हाथ में क्या-क्या शक्तियां आई थीं,आइए जानने की कोशिश करते हैं.
आखिर क्यों इतनी शक्तिशाली हुईं कमला
अमेरिकी राष्ट्रपति के पद पर कमला हैरिस दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला बनी चुकी थीं. अमेरिका के राष्ट्रपति होने के नाते वह अमरीकी फौज की सुप्रीम कमांडर थीं. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्हें एक प्लास्टिक कार्ड सौंपा गया. यह कोई सामान्य कार्ड नहीं होता है बल्कि यह अमरीका की एटमी मिसाइलों का लांच कोड था. इस कार्ड के होने के बाद से कमला जब चाहे अमेरिका की हजारों मिसाइलों को लांच करने का आदेश दे सकती थीं.
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यह वो कार्ड होता है जो किसी अमरीकी राष्ट्रपति को विश्व का सबसे ताकतवर शख्स बनाता है. इसकी मदद से राष्ट्रपति एटमी हमले का आदेश भी दे सकता है। इसे बिस्कुट के नाम से पुकारा जाता है. कमला कुछ सेकेंड के भीतर एटमी हमले का फैसला ले सकती थीं.
मिसाइल लांच अधिकारी को तैनात किया जाता है
इन मिसाइलों को पनडुब्बियों की मदद से काफी गोपनीय तौर पर तैनात किया गया है. राष्ट्रपति के एक इशारे पर यह एक मिनट के अंदर अपने मिशन की ओर रवाना हो सकती हैं. इसके लिए एक मिसाइल लांच अधिकारी को तैनात किया जाता है. उसे मिनटमेन का नाम दिया जाता है. राष्ट्रपति का आदेश मिलते की मिसाइलों को लांच कर सकते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति सदैव चमड़े का ब्रीफकेस अपने साथ लेकर चलते हैं. अगर दुश्मन देश अमेरिका पर पनडुब्बी से हमला करता है तो मात्र 15 मिनट में अमरीका को निशाना बनाया जा सकता है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति के पास एटमी हमले का निर्णय होता है. इस कारण अमेरिकी राष्ट्रपति के पास हमेशा यह ब्रीफकेस रहता है. इस ब्रीफकेस को न्यूक्लियर फुटबाल कहते हैं.
एटमी हमले का फैसला
इस ब्रीफकेस में ऐसी खास मशीने होती हैं, जिससे अमरीकी राष्ट्रपति स्ट्रैटेजिक कमांड के प्रमुख और उप राष्ट्रपति सहित कुछ खास लोगों से चर्चा कर सकते हैं. इस तरह से आपातकाल में एटमी हमले का फैसला लिया जा सकता है. इसमें एक किताब भी होती है,जिसमें इसमें एटमी मिसाइलों की ताकत और उसके प्रभाव का ब्योरा भी होता है। राष्ट्रपति से आदेश पर मिनटमैन जमीन पर तैनात एटमी मिसाइल से हमला करने या फिर पनडुब्बी में तैनात मिसाइलों को लांच करने को तैयार हो जाता है.
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