तालिबान राज में आमदनी खत्म, कीमतें आसमान पर
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद लोग भूखे मरने लगे हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां के लोगों की आमदनी लगभग खत्म हो गई है. जबकी बाजार मे कीमतें आसमान छू रही हैं.
highlights
- 2300 अफगानी में मिल रहा 50 किलो आटा
- बुनियादी जरुरतों के लिए भी तरस रहे नागरिक
- स्थानीय बाजार में कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी
नई दिल्ली :
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद लोग भूखे मरने लगे हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां के लोगों की आमदनी लगभग खत्म हो गई है. जबकी बाजार मे कीमतें आसमान छू रही हैं. नागरिकों को बुनियादी जरुरतों को पूरा करने में भी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं. काबुल निवासी नूरजदा ने बताया कि अमेरिका में अफगानिस्तान की संपत्ति को फ्रीज करने से स्थानीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. पहले एक बोरी आटे (50 किलो) की कीमत 1,200 अफगानी (13 डॉलर) थी, जो बढ़कर 2,300 अफगानी हो गई है. महंगाई किस कद्र हावी है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं.
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नूरजदा सहित कई अन्य नागरिकों ने अफगानिस्तान में जीवन व्यापन कर रहे नागरिकों के बारे में बताया. बताया गया कि वहां के लोगों की दैनिक आय ना के बराबर हो गई है. युद्धग्रस्त देश में अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों की मौजूदगी के आरोप में वॉशिंगटन ने अफगान केंद्रीय बैंक की लगभग 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है. जिसके कुछ लोग तो खाने के लिए भी तरस रहे हैं. लोगों की नौकरी पूरी तरह से खत्म कर दी गई है. साथ ही महिलाओं को काम न करने का फरमान जारी कर दिया गया है. जिसके चलते कामकाजी महिलाएं भी घरों में कैद हो गई हैं.
अमेरिका पर आरोप
तालिबान की अंतरिम सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने अमेरिका के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अमेरिका समेत किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा. नूरजादा की चिंताओं को प्रतिध्वनित करते हुए, काबुल निवासी नजीर ने भी आसमान छूती कीमतों के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया. साथ ही कहा कि वाशिंगटन की दोयम दर्जे की नीति ने पहले से ही गरीब देश में आर्थिक अराजकता और बढ़ती गरीबी को जन्म दिया है. साथ ही तालिबानी शासन आने के बाद संकट और गहरा गया है.
नजीर ने बताया कि पिछले महीनों में, मैंने हर दिन 1,500 अफगानी अर्जित की, लेकिन आजकल मैं मुश्किल से 400 अफगानी कमा पाता हूं. राजधानी काबुल सहित संघर्षग्रस्त अफगानिस्तान में हर जगह आर्थिक कठिनाई स्पष्ट नजर आ रही है, क्योंकि राजधानी शहर के कई निवासी जीवित रहने के लिए अपने घरेलू उपकरण बेच रहे हैं. कुछ लोगों ने तो अपने मेहनत से बनाए घरों को भी बेचना शुरु कर दिया. ताकि परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके.
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