Ukraine Crisis: बाइडन ने कहा मोदी सरकार से बातचीत पर तय होगा अगला रुख
अमेरिका में एक लॉबी रूस से एस 400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करने के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है.
highlights
- अमेरिका में एक लॉबी भारत पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में
- रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के वक्त से दबाव
- यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका-भारत रिश्ते कसौटी पर
नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने भारत (India) की मोदी सरकार से शुक्रवार को फिर बातचीत करने के संकेत दिए हैं. बाइडन ने रूस के खिलाफ नाटो सेना उतारने की संभावनाओं को सिरे से खारिज करने के साथ ही कहा है कि मोदी सरकार (Modi Government) से बातचीत पर ही अगला रुख तय किया जाएगा. गौरतलब है कि अमेरिका में एक लॉबी रूस से एस 400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करने के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है. यह अलग बात है कि एक अन्य लॉबी का मानना है कि भारत पर किसी तरह का प्रतिबंध दक्षिण एशिया में अमेरिका (America) के हितों के खिलाफ ही जाएगा. साथ ही भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करने का काम करेगा.
ब्लिकंन ने जयशंकर से की बात
गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूसी सैन्य अभियान के बाद यूक्रेन संकट पर अमेरिका भारत के साथ विचार-विमर्श करेगा. भारत क्या यूक्रेन पर रूसी हमले के वक्त अमेरिका के साथ पूरी तरह से है सवाल का जवाब देते हुए बाइडन ने कहा था, ‘यूक्रेन संकट पर हम भारत के साथ विचार-विमर्श करने जा रहे हैं. हमने इसे पूरी तरह से सुलझाया नहीं है.’ इसके पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने गुरुवार को ही यूक्रेन संकट पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की थी. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात कर बातचीत के जरिये मसला सुलझाने की वकालत की थी.
यह भी पढ़ेंः Russia-Ukraine Dispute: PM मोदी ने की राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात
रूसी हमले मसले पर भारत-अमेरिका का रुख समान नहीं
ऐसे में बाइडन का पीएम मोदी से आज फिर बातचीत के संकेत से साफ हो गया है कि रूस के मसले पर अमेरिका-भारत का रुख समान नहीं है. यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि रूस परंपरागत तौर पर भारत का पुराना दोस्त है औऱ समय-समय पर दोनों देशों की मित्रता कसौटी पर खरी उतरती रही है. इसके साथ ही यह भी सच है कि भारत की अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी पिछले डेढ़ दशक में अभूतपूर्व गति से बढ़ी है. ऐसे में रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका फिर से भारत पर दबाव बनाना चाहेगा.
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