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जिन्ना का धर्म आधारित 'दो राष्ट्र सिद्धांत' सही, पाक सैन्य प्रमुख बाजवा ने कहा-आज तो कहीं मौजूं

दो राष्ट्र के सिद्धांत के आधार पर पाकिस्तान का गठन करने की जिन्ना की सोच आज कहीं ज्यादा स्वीकार्य सच्चाई है. पाकिस्तान देने के लिए हम उनका कितना भी शुक्रिया अदा करें, वह कम ही होगा.

Updated on: 26 Dec 2019, 03:10 PM

highlights

  • पाक सेना प्रमुख बाजवा ने जिन्ना के धर्म आधारित बंटवारे को सही ठहराया.
  • कहा-पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की सोच आज कहीं ज्यादा स्वीकार्य सच्चाई है.
  • पाकिस्तान बुधवार को अपने संस्थापक जिन्ना की 143वीं जयंती मना रहा था.

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के सैन्य प्रुमख जनरल कमर जावेद बाजवा का मानना है कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की 'टू नेशन थ्योरी' कल भी सही थी, बल्कि आज के दौर भी कहीं अधिक प्रासंगिक और सच है. यह सिद्धांत कहता है कि धर्म के आधार पर देश अलग-अलग होने चाहिए. जनरल बाजवा ने यह बात जिन्ना की जयंती पर उनकी कब्र के दर्शन करने के बाद कही. माना जा रहा है कि परोक्ष रूप से उन्होंने यह बयान भारत में नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे हिंसक आंदोलन के संदर्भ में दिया है. गौरतलब है कि इसका विरोध करने वाला तबका दुष्प्रचार कर रहा है कि यह कदम भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की दिशा में उठाया जा रहा है.

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जिन्ना की सोच आज कहीं ज्यादा सच
गौरतलब है कि पाकिस्तान बुधवार को अपने संस्थापक जिन्ना की 143वीं जयंती मना रहा था. ऐसे में बाजवा ने कहा, 'दो राष्ट्र के सिद्धांत के आधार पर पाकिस्तान का गठन करने की जिन्ना की सोच आज कहीं ज्यादा स्वीकार्य सच्चाई है. पाकिस्तान देने के लिए हम उनका कितना भी शुक्रिया अदा करें, वह कम ही होगा.' बाजवा ने कहा कि मुश्किल वक्त में अल्पसंख्यकों समेत सभी पाकिस्तानी साथ आए हैं. उन्होंने कहा कि जिन्ना का दृष्टिकोण 'आस्था, एकता और अनुशासन' के सिद्धांतों के साथ पाकिस्तान को आगे ले जाने के लिए लोगों को प्रेरित करता रहेगा.

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पाकिस्तान नहीं लेगा अवैध मुस्लिमों को
गौरतलब है कि भारत में नागरिकता कानून पर चले रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच पाकिस्तान ने पहले ही कह दिया है कि वह भारत में गैरकानूनी रूप से रहने वाले पाकिस्तानी मुस्लिमों को वापस स्वीकार नहीं करेगा. सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने के मामले में गृह मंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान इसलिए है क्योंकि कुछ धर्म वहां अल्पसंख्यक हैं और बांग्लादेश, पाकिस्तान का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था.