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जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (फाइल फो)
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जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (फाइल फो)
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सत्तारूढ़ गठबंधन को रविवार को हुए मध्यावधि चुनाव में अभूतपूर्व जीत मिली है।
गठबंधन ने निचले सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है। इसके साथ ही उनके तीसरी बार लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का नेतृत्व संभालने की संभावना प्रबल हो गई है और साथ ही यह भी संभावना साफ दिख रही है कि वह सेना रखने से संबंधित संवैधानिक संशोधन की अपनी महत्वाकांक्षा पूरी कर सकते हैं।
जापान टाइम्स के मुताबिक, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी-कोमितो ब्लॉक ने 465 में से 312 सीटें जीत ली हैं। इस जीत से आबे को 70 साल पुराने संविधान में संशोधन का आधार भी मिल सकता है।
टोक्यो के गवर्नर यूरिको कोइके के नेतृत्व में नवगठित किबो नो टो (पार्टी ऑफ होप) को 49 सीटें मिली हैं।
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एक अन्य नवगठित पार्टी कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीपी) ऑफ जापान ने 54 सीटें जीती हैं। इसके साथ ही सीडीपी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है।
चुनाव के बाद आबे ने टेलीविजन साक्षात्कार के दौरान कहा कि उनका सत्तारूढ़ गठबंधन संवैधानिक संशोधन के लिए अकेले जनमत संग्रह का फैसला नहीं कर सकता। उन्हें इसके लिए अन्य पार्टियों का सहयोग चाहिए।
आबे ने टोक्यो में पार्टी के मुख्यालय में कहा, 'किबो नो टो के सदस्य संविधान में संशोधन के बारे में सकारात्मक और निर्णायक रुख बनाए हुए हैं। मैं किबो नो टो सहित अन्य पार्टियों से चर्चा करना चाहूंगा।'
आबे ने कहा कि हम रविवार को हुए चुनाव की जीत को नम्रता से अपनाएंगे।
जापान टाइम्स के मुताबिक, यह आबे के लिए उल्लेखनीय पल है क्योंकि जुलाई में सत्ता से उनकी पकड़ ढीली पड़ने लगी थी। उनके मंत्रिमंडल की लोकप्रियता 2012 में उनके शपथ लेने के बाद सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई थी।
सत्तारूढ़ गठबंधन के ये नतीजे आबे को मिला बेहतरीन जनसमर्थन हो सकता है, जिससे अगले साल होने वाले एलडीपी अध्यक्ष पद के लिए तीसरी बार उनकी दावेदारी को मजबूती मिल सकती है। यदि वह एलडीपी के अध्यक्ष चुन लिए जाते हैं तो वह 2021 तक इस पद पर रहेंगे। वह देश के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
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Source : News Nation Bureau