इजरायल में गहराया राजनीतिक संकट: संसद भंग, 2 साल में चौथे चुनाव की ओर देश
इजरायल में एक बार फिर राजनीतिक संकट आ खड़ा हुआ है. इजरायल की संसद को फिर से भंग कर दिया गया है.
यरूशलम:
इजरायल में एक बार फिर राजनीतिक संकट आ खड़ा हुआ है. इजरायल की संसद को फिर से भंग कर दिया गया है. इजरायल की संसद द्वारा बजट पारित करने की समय सीमा को पूरा करने में विफल रहने के बाद बेंजामीन नेतन्याहू की सरकार फिर से गिर गई है. अब देश दो साल में चौथे आम चुनाव की ओर बढ़ गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल में चौथे आम चुनाव अगले साल 23 मार्च को हो सकते हैं. यह 2019 से चौथा चुनाव होगा.
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प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके गठबंधन के साथी, ब्लू एवं व्हाइट पार्टी के नेता बेनी गैंट्ज ने अपनी सात महीने पुरानी सरकार के पतन के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराया है. नेतन्याहू ने कहा, 'ब्लू और व्हाइट पार्टी के नेता समझौतों से हट गए और हमें कोरोना संकट के दौरान अनावश्यक चुनावों की ओर खींच लिया.' उन्होंने कहा, 'हम एक चुनाव नहीं चाहते हैं और हमने इसके खिलाफ मतदान किया है. लेकिन हम चुनाव से डरते नहीं हैं. क्योंकि हम जीतेंगे.'
वहीं गठबंधन सरकार के सहयोगी और रक्षामंत्री बेनी गेंट्ज ने नेतन्याहू पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा है कि अब बेहतर यही होगा कि देश में नए चुनाव कराए जाएं. गैंट्ज ने नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोपों का जिक्र करते हुए कहा, 'मुझे खेद है कि प्रधानमंत्री अपने मुकदमे के पक्षधर हैं और जनहित के नहीं.' गैंट्ज ने कहा कि अब बेहतर यही होगा कि देश में नए चुनाव कराए जाएं.
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इससे पहले मंगलवार को सरकार को कायम रखने और संसद को स्वतः भंग होने से रोकने की आखिरी कोशिश भी नाकाम हो गई. बजट समझौते को लेकर गठबंधन सरकार की दो प्रमुख पार्टियों के बीच बातचीत विफल हो गई और संसद के देर रात्रि सत्र में लिकुड और ब्लू एवं व्हाइट पार्टी के सदस्यों ने मंगलवार तक बजट पारित करने की समयसीमा को दो और हफ्ते बढ़ाने के खिलाफ वोट दिया. प्रस्ताव के खिलाफ 49 वोट पड़े जबकि पक्ष में 47 वोट पड़े.
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और रक्षा मंत्री बैनी गैंट्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के बीच मई में सरकार के बनने के बाद से ही बजट को लेकर विवाद था. नेतन्याहू और गैंट्ज ने मंगलवार तक बजट पारित करने की समयसीमा को दो और हफ्ते बढ़ाने के लिए प्रस्ताव दिया था, ताकि 2020 के बजट को लेकर किसी समझौते पर पहुंचा जा सके, लेकिन दोनों पार्टियों के सदस्यों ने ही संसद में इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर दिया.
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