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अफगानिस्तान में चीनी हितों पर इस्लामिक स्टेट का पहला हमला

काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था. आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है. गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं. चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है.

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : Twitter )

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काबुल लोंगन होटल पर हमला पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला था. आरएफई/आरएल ने बताया कि हमले ने अफगानिस्तान में बीजिंग की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने में मदद की है. गौरतलब है कि चीन दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जो तालिबान सरकार के साथ व्यापार करने को तैयार है, जिसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. चीनी नागरिक तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गए हैं. चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंत्रालयों का दौरा करना और तालिबान के अधिकारियों के साथ बातचीत करना आम हो गया है.

हाल के महीनों में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले के बाद काबुल में चीनी स्वामित्व वाले होटल पर इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) चरमपंथी समूह का हमला हुआ है. चीन, रूस और पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं, जिन्होंने काबुल में राजनयिक मिशन बनाए रखा है. आएफई/आरएल ने बताया कि वे तालिबान के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक भागीदारों में से भी हैं.

पर्यवेक्षकों ने कहा है कि आईएस-के हमले बीजिंग, मास्को और इस्लामाबाद के साथ तालिबान के संबंधों को कमजोर करने का प्रयास हो सकते हैं और काबुल अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को विफल कर सकते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि आईएस-के ने अपना तात्कालिक लक्ष्य हासिल कर लिया है.

होटल हमले के बाद बीजिंग ने अपने नागरिकों को जितनी जल्दी हो सके अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी. इस कदम से चीनी प्रवासियों का पलायन देखा जा सकता है.

आईएस-के उग्रवादियों ने तालिबान के शासन और वैधता के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है. पिछले 16 महीनों में आईएस-के ने घातक हमले किए हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नए शासकों को कमजोर कर दिया है. आरएफई/आरएल ने सूचना दी है कि चरमपंथी समूह के अफगानिस्तान में तालिबान और उसके प्रमुख विदेशी सहयोगियों के हितों पर हमला जारी रखने की संभावना है

आईएस-के ने 12 दिसंबर को मध्य काबुल में एक चीनी स्वामित्व वाले होटल पर एक घातक हमला किया. तालिबान ने कहा कि उसने सभी तीन हमलावरों को मार डाला. हमले में दो विदेशी नागरिक मामूली रूप से घायल हो गए.

बीजिंग ने यह कहकर तालिबान का खंडन किया कि हमले में कम से कम पांच चीनी घायल हो गए. अफगानिस्तान में एक प्रमुख चीनी व्यवसायी के अनुसार हमले के समय 30 से अधिक चीनी नागरिक होटल में थे. काबुल के आपातकालीन अस्पताल ने कहा कि उसे तीन शव और 18 घायल मिले हैं.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Islamic State afghanistan Chinese interests
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