तेल पर जंग के बीच ईरान ने OPEC देशों को सुनाई खरी खोटी, कहा- बन रहा अमेरिका के हाथों की कठपुतली

ओपेक अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को खो रहा है और महज एक फोरम बनकर रह गया है. दरअसल रूस, दूसरे तेल उत्पादकों सहित ओपेक ने जून में तेल उत्पादन को बढ़ाने पर सहमति दी थी

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vineet kumar1
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तेल पर जंग के बीच ईरान ने OPEC देशों को सुनाई खरी खोटी, कहा- बन रहा अमेरिका के हाथों की कठपुतली

तेल पर जंग के बीच ईरान ने OPEC देशों को सुनाई खरी खोटी

ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते पेट्रोलियम निर्यात में कमी को लेकर ओपेक देशों पर अपना गुस्सा निकाला है। ईरान ने ओपेक देशों को अमेरिका के हाथों को कठपुतली बताते हुए कहा कि कुछ देशों को दूसरों के हाथों कठपुतली बनना पसंद है। ईरान के ओपेक गवर्नर हुसैन कजीमपुर ने कहा कि सऊदी अरब और यूएई ओपेक को अमेरिका का टूल बना रहे हैं. इस वजह से संगठन की साख अब नहीं रह गई है.

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उन्होंने कहा कि ओपेक अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को खो रहा है और महज एक फोरम बनकर रह गया है. दरअसल रूस, दूसरे तेल उत्पादकों सहित ओपेक ने जून में तेल उत्पादन को बढ़ाने पर सहमति दी थी. ईरान ने इस कदम का विरोध किया था.

ओपेक के फाउंडर मेंबर्स में से एक ईरान अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध लगाने के बाद इस तरह की कवायद के विरोध में था.

आपको बता दें कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से उसका तेल उत्पादन घट गया है जिस कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है. भारत में भी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर लगातार विपक्ष सरकार को घेर रही है.

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2015 की ईरान न्यूक्लियर डील को रद्द कर ईरान पर वैश्विक प्रतिबंध लगा दिए हैं जिसके बाद वैश्विक बाजार में तेल की सप्लाई की व्यवस्था को बनाए रखने पर सवाल खड़ा हो गया.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तेल उत्पादक देशों से लगातार तेल का उत्पादन बढ़ाने की अपील की हैं. दूसरी तरह वह दुनिया के दूसरे देशों को ईरान से तेल नहीं खरीदने के लिए बाध्य भी कर रहे हैं.

अमेरिका ने साफ कर दिया है कि जो देश ईरान से तेल खरीदेगा उसे भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

इस बीच ईरान का तेल उत्पादन जुलाई 2016 के बाद से न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है. इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक ईरान के क्रूड के टॉप खरीदार भारत और चीन ने उससे दूरी बना ली है. अमेरिकी प्रतिबंध 5 नवंबर से प्रभावी हो रहे हैं और उससे पहले दुनिया के बाकी देश विकल्प ढूंढने में जुट गए हैं.

Source : News Nation Bureau

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