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ईरान-अमेरिका( Photo Credit : आईएएनएस)
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ईरान-अमेरिका( Photo Credit : आईएएनएस)
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस बात से इनकार किया है कि आपसी विवादों को लेकर तेहरान और वाशिंगटन के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संदेशों का कोई आदान-प्रदान हुआ है. एक शीर्ष अधिकारी ने ये बात कही है. मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादे के हवाले से समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कहा, अब तक, ईरान को अमेरिकी प्रशासन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संदेश नहीं मिला है. खतीबजादेह ने कहा, समस्या यह है कि वाशिंगटन अपना रवैया बदलने के लिए तैयार नहीं है. अमेरिका ने 2015 के परमाणु समझौते पर लौटने के लिए कदम नहीं उठाए है.
उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अभी भी लागू हैं और न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले ईरानी राजनयिकों के आवागमन पर प्रतिबंध भी जारी है.
खतीबजादेह ने ईरान पर दबाव जारी रखने को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा अपनाई गई अधिकतम दबाव की अमेरिकी नीति विफल हो गई है और ईरान में मंदी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपने स्वयं के दायित्वों को निभाने की जरूरत है. समझौते पर वापस लौटें और प्रतिबंधों को हटाएं, जो इस्लामी गणराज्य के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है.
2018 में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) से हटने और प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के जवाब में, ईरान ने सौदे के तहत अपने दायित्वों के कुछ हिस्सों को लागू करने की योजना को निलंबित कर दिया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि अगर ईरान परमाणु समझौते का पूर्ण अनुपालन करता है, तो वाशिंगटन भी ऐसा ही करेगा. लेकिन ईरान ने कहा है कि वो इसका अनुपालन तभी करेगा जब अमेरिका प्रतिबंध हटा लेगा.
भारत और अमेरिका में बनी सहमति
अमेरिका ने शनिवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन के बीच एक बैठक के दौरान भारत में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई. सूत्रों ने कहा कि दोनों अधिकारियों के बीच एक घंटे तक चली चर्चा मानव अधिकारों पर केंद्रित थी. ऑस्टिन ने जयशंकर से कहा कि दुनिया में दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, मानव अधिकार और मूल्य अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं और वे इन मूल्यों के साथ नेतृत्व करेंगे. जयशंकर ने इस बात पर सहमति जताई और जोर दिया कि दोनों लोकतंत्रों के बीच एक मजबूत रिश्ता न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी महत्वपूर्ण है. विचार-विमर्श ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति पर थोड़ा ध्यान केंद्रित किया. पूर्वी एशिया में हाल की यात्राओं के बारे में अमेरिकी पक्ष ने जानकारी दी है.
Source : News Nation Bureau